यहां-वहां धमाके खत्म, कश्मीर शांत, ड्रग्स पर अंकुश... फिर लॉरेंस बिश्नोई किस खेत की मूली है?
नई दिल्ली : एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या ने जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके सिंडिकेट पर फिर से ध्यान केंद्रित कर दिया है। एनआईए, पंजाब पुलिस, मुंबई पुलिस और राजस्थान पुलिस उसके सिंडिकेट के खिलाफ हत्या और जबरन वसूली के एक दर्जन से अधिक मामलों की जांच कर रही है। बताया जाता है कि लॉरेंस बिश्नोई कथित तौर पर कनाडा स्थित सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार और उसके भाई अनमोल बिश्नोई के साथ मिलकर संचालित करता है। उसका नेटवर्क हाल ही में सलमान खान के घर के बाहर हुई गोलीबारी में शामिल था।
दाउद नेटवर्क से हो रही तुलना
एनआईए के अनुसार, देश में गैंगस्टर-खालिस्तान समर्थक तत्वों का गठजोड़ 90 के दशक की शुरुआत में मुंबई में मौजूद परिदृश्य जैसा है। एनआईए ने अपने कई आरोपपत्रों में पाया है कि अब दो मुख्य गिरोह लॉरेंस बिश्नोई और कौशल चौधरी के बीच टकराव चल रहा है। यह अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद और अब जेल में बंद छोटा राजन के बीच प्रतिद्वंद्विता के समान है। इस सिंडिकेट के 50 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कैसे चला रहा गैंग?
गिरोह पहले प्रसिद्ध गायक सिद्धू मूसेवाला, राजू ठेथ जैसे राजनीतिक पदाधिकारियों और प्रदीप कुमार जैसे सामाजिक धार्मिक नेता की हत्या में शामिल रहे हैं। गिरफ्तारी के बाद बिश्नोई के कई सहयोगियों ने खुलासा किया है कि उन्हें बिश्नोई या उनके भाई अनमोल बिश्नोई से 'डब्बा कॉलिंग' पद्धति का उपयोग करके निर्देश मिलते हैं। इसमें, इंटरनेट के माध्यम से जबरन वसूली की जाती है, उसके बाद गिरोह के नेता को दूसरी कॉल की जाती है। सलमान खान से सिद्दीकी की निकटता के कारण बिश्नोई गिरोह की संभावित संलिप्तता की भी जांच की जा रही है
आतंकी घटनाओं में कमी, कश्मीर में शांति
बिश्नोई गैंग के बेखौफ अंदाज के बाद एक सवाल लोगों के जेहन में साफ तौर पर आ रहा है। पहले त्योहारों के मौके पर अलग-अलग हिस्सों में बम विस्फोट की घटनाएं होती थीं। हालत यह थी कि मेट्रो समेत अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट में चलने में डर लगता था। फिर स्थितियां बदल गईं। अब लोग यह सोच रहे हैं कि जब इतनी गंभीर स्थिति से सरकार निपट सकते ही तो आखिर लॉरेन्स गैंग किस खेत की मूली है। अब सवाल है कि आखिर सरकार इसको लेकर कर क्या सोच रही है। यह वही, मोदी सरकार है जिसके कार्यकाल के दौरान पिछले 10 साल में कश्मीर से इतर आतंकी घटनाओं पर लगभग पूरी तरह से अंकुश लग चुका है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री संसद में यह बयान दे चुके हैं कि पिछले 10 साल में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। इसके अलावा आतंकी घटनाओं में होने वाली मौतें भी 67 फीसदी तक कम हुई हैं। आतंकवाद को लेकर सरकार का रवैया जीरो टॉलरेंस का है। सरकार की सख्त रुख का ही असर है कि कश्मीर अब शांत हो चुका है। यहां बिना किसी हिंसक वारदात के लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव भी हुए हैं।