छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी भिलाई में नेचर इंस्पायर्ड सस्टेनेबीलीटी सेंटर की स्थापना
दुर्ग। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद टेक्निकल यूनिवर्सिटी भिलाई में 25 सितम्बर को प्रकृति के विकास और सिद्धांतांे पर आधारित एक कार्यशाला नेचर इंस्पायर्ड सस्टेनेबीलीटी पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। वर्तमान में पुरे देश तथा विश्व भर में हो रहे वातावरण परिवर्तन को समझने और इसके हल की प्रयास के उद्देश्य से इस नए क्षेत्र में कार्य को आगे बढ़ाने हेतु पर्यावरण एवं जल संसाधन अभियांत्रिकी विभाग के प्राध्यापक डॉ. एन. पी. देवांगन द्वारा इस क्षेत्र के प्रसिद्ध विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया ताकि विश्विद्यालय के छात्रों तथा जनसामान्य को इसके प्रति जागरूक करने का श्रीगणेश हो सके। जिसमें भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के सस्टेनेबीलीटी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मोंटो मणि तथा भारतीय प्रबंध संस्थान नवा रायपुर के प्रोफेसर डॉ. राहुल हिरेमठ द्वारा प्रकृति के मूलभूत क्रियाकलाप तथा सिद्धन्तांे को गहराई तथा विस्तार से उदाहरण देते हुए व्याख्यान दिया गया। इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य सस्टेनेबीलीटी को प्रकृति के नियम तथा क्रियाकलाप से जोड़ना तथा व्यव्हार और विकास में लाने हेतु छात्रों को सजग करना थास भारतीय विज्ञान संस्थान के डॉ. मोंटो मणि द्वारा वाइट पेपर प्रकाशित किया गया है जो ट्रॉसफार्मिंग द बुल्ट एनवायरमेंट के नाम से विख्यात है। डॉ. मोंटो ने अपने व्याख्यान में बताया की चौतरफा शहरी और औद्योगिक विकास और जनसंख्या तथा घनत्व के कारण कार्बन उत्सर्जन से वातावरण को हानि पहुँच रही है यद्यपि हम कैसे निर्मित बसाहटों में इसके वर्त्तमान वास्तविक स्वरुप को लेते हुए प्रकृति के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित ज्ञान से विशुद्ध परिवर्तन कर एक स्वक्ष वातावरण का निर्माण कर सकते है।
भारतीय प्रबंध संस्थान नवा रायपुर के प्रोफेसर राहुल हिरेमठ ने कहा कि हम प्रकृति का निरीक्षण कर सस्टेनेबिलिटी सिख सकते हैं हमें किसी भारी ग्रन्थ अथवा क्लासरूम की जरुरत नहीं है, पेड़ पौषों जन्तुओ के छोटे-छोटे क्रियाकलों के निरिक्षण तथा ज्ञान से ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांतों तथा सस्टेनेबिलिटी तरीकों का व्यावहारिक ज्ञान मिलता हैस डॉ. राहुल ने यह भी बताया की जिस प्रकार कमल फूल अपने विकास के दौरान ऊर्जा संरक्षण हेतु कुछ विशेष गुण विकसित करता है जिससे की उसके ऊपर जल और धूल के कण नहीं रुकते और निर्मल और सुन्दरता बनी रहती है इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीराम को नवकंज लोचन कंज मुखकर कंज पद कन्जारुणम की संज्ञा दिया हैस डॉ. राहुल ने बताया की फलों की बाहरी आवरण चिकना होता है ताकि उस पर किट पतंगों का घर न बने और न अंडे दे सके अर्थात फलों में अपने आप को परिस्कृत कर वातावरण से सुरक्षित करने और विकास करने का गुण समाहित होता है। प्रकृति के जीव जंतुओं तथा फूलों, पेड़ और वनस्पतियों में मौजूद उपरोक्त गुण तथा ऊर्जा एवं संसाधन संधारण क्षमता के आधार पर एक नेचर इंस्पायर्ड सस्टेनेबीलीटी केंद्र की कल्पना कर पर्यावरण एवं जल संसाधन अभियांत्रिकी विभाग में डॉ एन पी देवांगन ने डॉक्टर मोंटो मणि तथा राहुल के करकमलों द्वारा एक केंद्र का श्री गणेश किया गया स केंद्र का आरम्भ सभी प्राध्यापको व छात्रों द्वारा वृक्षा रोपण के माध्यम से किया गया, जहाँ 7 छात्राओं द्वारा वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा के भजन को भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर मोंटो ने सराहा और इसे एक अच्छी पहल कहकर इसके सफलता हेतु हर्षित शुभकामनाये दिया।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से निदेशक डॉ पी. के. घोष, डॉ एन पी देवांगन, पर्यावरण एवं जल संसाधन अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मनीष कुमार सिन्हा, एवं डॉ. भास्कर चंद्राकर उपस्थित रहे, जिनके द्वारा सीएसवीटीयु भिलाई एवं भारतीय प्रबंध संस्थान रायपुर तथा भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के बीच विभिन्न शैक्षणिक सहयोग एवं पारस्परिक विकास के लिए भी चर्चा किया गया तथा कुछ पहलुओ पर विचार कर सैधांतिक सहमती भी प्राप्त की गई है। डॉ देवांगन ने बताया की गत वर्ष एओजिएस की महासभा तथा इंटर नेशनल कांफ्रेंस सिंगापुर में अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री मार्क शिमामोतो अवं एक्सेक्टीवे वाईस प्रेजिडेंट लेडी जेनिस ला चांस से आपसी सहयोग और शैक्षणिक उन्नयन हेतु सीएसवीटीयु भिलाई एवं एजीयू के बीच सहयोग और यूनिवर्सिटी में एजीयू का एक लोकल चौप्टर शुरू करने में वैचारिक सहमति तय किया गया जिसके लिए डॉ देवांगन को एजीयू की महासभा में आने निमत्रण भेजा गया है स ज्ञातव्य हो की सिंगापुर की उपरोक्त महासभा में कुलपति डॉ मुकेश कुमार वर्मा एवं डॉ देवांगन तथा डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. चंद्राकर मौजूद थे।