गाभोड़ा के बैगा जोह रहे बाट पंडरिया का बन विभाग कहां
गाभोड़ा के बैगा जोह रहे बाट पंडरिया का बन विभाग कहां
कवर्धा : वनांचल पहाड़ी क्षेत्र में कहां कौन सी समस्या है इस बात की सबसे अधिक जानकारी किसी को है तो बन विभाग जहां हर साल करोड़ रुपए विकास के नाम खर्च किए जा रहे हैं किंतु सब को पता है वन विभाग ही एक ऐसा विभाग जो खुद ही काम का प्रांकलन मूल्यांकन सत्यापन स्वयं करती है। किंतु बिरहुलडीह के आश्रित ग्राम गभोड़ा की सुध उपवनमंडल पंडरिया के अधिकारियों को नहीं आना भी किसी आश्चर्य से कम नहीं है।
हर साल विकास के नाम पर करोड़ों रुपयों का खर्च करती है कुबेर पुत्र वाली विभाग को राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगाओं का सुध नहीं लिया गया है। वन विभाग के अधिकारियों के मिली भगत से ऐसे स्थान पर लाखों रूपये का निर्माण कार्य किए जाते हैं जहां जनमानस का सरोकार ही नहीं रहता है जिले और प्रदेश प्रशासन को कोई जानकारी नही रहता है मानव दिवस के काम दर्शाकर मशीन से कुछ थोड़े बहुत काम दर्शाकर स्वीकृत शासन की राशि पर भ्रष्टाचार रूपी दीमक चढ़ाकर राशि ढकार जाते हैं कुछ वनांचल में निवासरत लोगों के जानकारी में आने के बाद शिकायत होती है तबतक बहुत देर हो जाती है। अशिक्षा के शिकार बैगा जन जातियों को चंद रुपयों के लालच पर हस्ताक्षर करा फाइलें बंद कर देते हैं।
वर्तमान में चलाए जा रहे राज्य कैंपा योजना की बात हो या फ़िर ग्रीन इंडिया की बात की जाए दोनों योजना उप वनमण्डल पंडरिया खूब अच्छे ढंग से चला है कार्य की सच्चाई धरातल पर कहीं दिखाई नही दे रहा है। ग्रीन इंडिया का नाम सुन कर सभी को सुकून मिलता है। भ्रष्टाचार ने अपनी उपस्थिति दर्ज नही कराई होती और वन विभाग पंडरिया काम किया रहता तो शायद यह क्षेत्र बूंद बूंद पानी के लिए नही तरसता और न ही इस क्षेत्र में पौधे लगाने की जरूरत पड़ती ।ग्रीन इंडिया कार्यक्रम पश्चिम परिक्षेत्र के ग्राम नेउर,रुखमिददार,अमलीटोला, राही डांड,भंगीटोला ,रोखनी, ताईतिराना 8 गांवों में चलाए जाने की जानकारी मिलती है। करोड़ों रुपए खर्च के बाद हालत क्या है देखी जा सकती है। वर्तमान में ग्राम भाकुर,छिन्दीडीह, पुटपुट्टा ,तेलयापानी लेदरा 4 स्थानों पर यह काम कराया जाना बताया जा रहा है। वैसे भी विभाग सड़क, पुल पुलिया रपटा, भवन , तालाब , बांध, स्टॉप डेम चेकडैम , नर्सरी , कार्य सहित अन्य कार्य करती है इस समय राशि नहीं आने की रोना अफसर रो रहे हैं।धन पिपासा लोग कुबेर पुत्र वन विभाग के अफसर काम नहीं होने के बहाने कुछ ऐसे स्थान पर जाने की तैयारी कर रहे हैं जहां धन वर्षा हो रही हो व खुद का अपना राजपाठ चलता हो। राज्य सरकार और प्रशासन को भी चाहिए ऐसे अफसरों का पूरा पूरा ख्याल रखे।
अविभाजित मध्यप्रदेश के समय ग्राम गभोड़ा बैगा ग्राम फूड पाइजनिंग से कुछ लोग की असामयिक मौत हो गई थी। तब से अस्तित्व में आया है वह गभोड़ा विकास खंड बोड़ला अंतर्गत आता है किंतु यहां पंडरिया विकासखंड अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बिरहुलडीह के आश्रित ग्राम मजगांव के नीचे बसे गभोड़ा की बात हो रही है। यहां मूलभूत सुविधाओं के लिए राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगाओं को जूझना पड़ रहा है। वन ग्राम व राजस्व ग्राम की पहचान करने वाली उप वनमण्डल पंडरिया को भनक नही है।