छत्तीसगढ़ इतिहास

जानिए मां महामाया मंदिर के बारे में "मां महामाया मंदिर रायपुर "

रायपुर,पुरानी बस्ती में स्थित मां महामाया मंदिर की बात करेंगे। छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग द्वारा मां महामाया मंदिर को 8वीं शताब्दी का बताया गया है।
इसके अनुसार मंदिर का इतिहास करीब 13 सौ साल से ज्यादा पुराना है। माता का यह ऐतिहासिक मंदिर बहुत चमत्कारिक माना जाता है। तांत्रिक पद्धति से बने इस मंदिर के गर्भगृह में मां महामाया मां काली के स्वरूप में विराजमान हैं।
 

श्री यंत्र के आकार में मंदिर के गुंबद का निर्माण हुआ है। इससे मंदिर में आने वाले भक्तों को मां महालक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां महामाया के दर्शन के लिए भक्तों को मंदिर के गर्भगृह के मुख्य द्वार से थोड़ा तिरछा खड़ा होना होता है।  मंदिर प्रांगण में मां महामाया मंदिर के सामने मां समलेश्वरी देवी का मंदिर है। समलेश्वरी माता को मां सरस्वती का स्वरुप माना जाता है। मां समलेश्वरी देवी उड़ीसा के संबलपुर क्षेत्र की कुलदेवी रही हैं।

महामाया के दरबार में श्रद्धालुओं द्वारा सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना जरूरी पूरी होती है। मां महामाया मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां लाल भैरव और काल भैरव के दर्शन होते हैं। मां महामाया के दर्शन के लिए श्रद्धालु देश ही नहीं विदेशों से भी रायपुर आते हैं। 
मां महामाया मंदिर प्रांगण में कई देवी-देवताओं के दर्शन होते हैं। मां दुर्गा का भव्य रूप मंदिर की दीवारों पर उकेरा गया है। श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन भी यहां होते हैं।
मंदिर प्रांगण में नौ देवी की प्रतिमा स्थापित की गई है। इसमें शैलपुत्री, ब्रम्हचारिणी, चंद्रघण्टा, कुष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागौरी, सिद्धिदात्री हैं। मंदिर में शिवलिंग के दर्शन भी होते हैं।    

गर्भगृह में पहुंचती है सूरज की किरणें

मां महामाया मंदिर के गर्भगृह में सूरज की किरणें पहुंचती हैं। मंदिर में दो खिड़कियां बनी हुई हैं। एक खिड़की से माता के दर्शन होते हैं जबकि दूसरी खिड़की से ऐसा नहीं होता।
मां महामाया मंदिर पहले एक साधना स्थली थी। यहां बड़े बड़े साधक आकर साधना करते थे। मंदिर का निर्माण भी कुछ अलग तरीके से किया गया है। मंदिर के गुंबद में कलश ना होकर श्री यंत्र की तरह चक्र लगा हुआ है। 

महामाया मंदिर में सुबह शाम भव्य आरती

मां महामाया मंदिर में सुबह 7:30 बजे और शाम 7:30 बजे भव्य आरती की जाती है। सबसे पहले मां महामाया की आरती होती है उसके बाद समलेश्वरी माता की आरती की जाती है।
मां महामाया मंदिर खुलने का समय सुबह 6 से दोपहर 12 बजे तक। संध्या 4 से रात्रि 9 बजे तक का है। नवरात्र में सुबह 8 बजे दोपहर 12:30 बजे और रात्रि 8 बजे भव्य आरती की जाती है। 
मंदिर खुलने का समय प्रात: 4 बजे से दोपहर 3 बजे तक और शाम 4 से रात्रि 12:30 बजे तक। नवरात्र में ज्योति कलश की स्थापना भी की जाती है।
 

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