छत्तीसगढ़ इतिहास

बारसूर छत्तीसगढ़ का इतिहास

बारसूर ,बस्तर की गोद में प्राचीन, सांस्कृतिक और प्राकृतिक नजारों से ओतप्रोत दृष्य हमेशा देखने को मिलता हैं। जिसमे से एक हैं, गीदम के जंगलों के बीच स्थित

बारसूर (Barsur Chhattisgarh), जहाँ महाभारत काल से लेकर प्राचीन सभ्यता तक के मंदिर, तालाबों व झरने, जगह-जगह देखने को मिल जाते हैं।

आज हम आपको बारसूर में पाए जाने वाले प्राचीन मंदिरो व तालाबों के बारे में बताने जा रहे हैं। यहाँ पहुंचने के उत्तम मार्ग, कब व कैसे जाना चाहिए, जाने

का सर्वोत्तम समय क्या हैं। साथ ही यहाँ घूमने का Tour Package भी उपलब्ध करवाने वाले हैं। मंदिरो व तालाबों का शहर कहे जाने वाले Barsur

Chhattisgarh अपनी प्राचीन सभ्यता और कथाओं से परिपूर्ण हैं। यहाँ महाभारत कालीन घटनाओ का उल्लेख मिलता रहता हैं।

कहा जाता हैं महाभारत काल में यहाँ भगवान् शिव से अक्षय वरदान प्राप्त राजा बाणासुर का राज्य फैला हुआ था। जिसका उल्लेख यहाँ के मंदिरो की

कहानियों में मिलता हैं।  पुरातत्व विभाग के अनुसार बारसूर की मंदिर ज्यादातर छिन्दक नागवंशी राजाओं द्वारा बनवाया गया हैं। जो अपनी अद्भुत

नक्काशी और कलाकृतियों से

भरा हुआ हैं। कहा जाता हैं बारसूर क्षेत्र के अंतर्गत पहले 147 तालाब व 147 मंदिर पाए जाते थे, जो कालांतर में कुछ ही शेष बचे हुए हैं।

एक किवदंती के अनुसार राजा बाणासुर देवों के देव – महादेव की घनघोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप उन्हें अक्षय पताका दिया, और उन्होंने वरदान

दिया, जब तक यह पताका लहराता रहेगा, राज्य में सुख, शांति व समृद्धि रहेगी। जो पताका को नीचे गिरायेगा वही आपको युद्ध में पराजित कर पायेगा। 

जगदलपुर से भोपालपट्टनम रोड वाले रास्ते में ही Battisa Temple Barsur पड़ता हैं, जो बारसूर शहर में ही स्थित हैं। 32 स्तंभों (32 Pillors) में खड़े हैं

जिसके कारण इसे बत्तीसा मंदिर कहा जाता हैं।

इस मंदिर की स्थापना लगभग 11-12 वीं शताब्दी ई. में हुआ होगा। इस मंदिर में दो गर्भगृह विद्यमान हैं। जिसमे दोनों जगह शिवलिंग स्थापित हैं। जो

भगवान् शिव जी को समर्पित हैं। यह मंदिर हिन्दू मंदिरों में अनोखा हैं, प्रथम गर्भ गृह के शिवलिंग को “सोमेश्वर” तथा द्वितीय गर्भगृह के लिंग

को “गंगाधर” के नाम से स्थापित हैं। मंडप में शिवलिंग की ओर मुख किये हुए नंदी बैठा हुआ हैं। नंदी की प्रतिमा बहुत सजीव और सुन्दर हैं। ऐसी मान्यता

हैं की नंदी के कान में गुप्त रूप से

अपनी मनोमकाना बताने से वह पूर्ण हो जाती हैं।कहा जाता हैं दोनों शिव को घुमाने से घूमता हैं, ऐसी मान्यता हैं, की दोनों शिवलिंग को एक सही दिशा में

रखने से Battisa Temple में एक रहस्यमयीदरवाजा खुलता है, जो छिन्दक नागवंशी राजा या अन्य किसी राजवंश के खजाना पर लेकर छोड़ता हैं।

कालांतर में असामाजिक तत्वों के द्वारा बार-बार घूमने से शिवलिंग में छति होने के कारण पुरातत्व विभाग द्वारा दोनों शिवलिंग को चिपका के रख दिया गया

हैं, जिससे अब कोई भी उसे घुमाकर नहीं देख सकता हैं। समय के अनुसार भगवान कृष्ण के पुत्र व बाणासुर की पुत्री में प्रेम हो गया ततपश्चात बाणासुर का

पताका नष्ट होने लगा। भगवान् कृष्ण और बाणासुर में भयानक युद्ध हुआ, जिसमे श्री कृष्ण की जीत हुई। भगवन शिव की परम भक्त होने के कारण श्री

किशन के बारे में शिव जी ने बाणासुर को बताया, तदुपरांत दोनों में संधि हुआ। बाणासुर ने शिव और विष्णु मंदिर का निर्माण गनमन तालाब के पास

करवाया हैं।

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