संस्कृति

आज पूजा में करें मां कूष्मांडा और मां स्कंदमाता की ये आरती, जीवन में मिलेंगे सभी सुख

नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 02 अप्रैल को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और पंचमी तिथि है। चैत्र नवरात्र में चतुर्थी तिथि पर मां कूष्मांडा और पंचमी तिथि पर देवी स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने का विधान है।

इस बार 02 अप्रैल को चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है, तो ऐसे में मां कूष्मांडा और स्कंदमाता की पूजा-अर्चना एक ही दिन की जाएगी। ऐसे में पूजा के दौरान आरती जरूर करें। मान्यता है कि सच्चे मन से आरती करने से साधक को पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है और जीवन में सभी सुख मिलते हैं। आइए पढ़ते हैं मां कूष्मांडा और स्कंदमाता की आरती।

ये है आरती करने का सही तरीका

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आरती की शुरुआत देवी के चरणों से करनी चाहिए। सबसे पहले आरती को 04 बार देवी के चरणों में, 02 बार नाभि पर, एक बार मुखमण्डल पर और 07 बार देवी के सभी अंगों पर उतारें। ऐसी मान्यता है कि इस तरह से आरती को करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।

मां कूष्मांडा की आरती ( Maa Kushmanda Aarti)

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी मां भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।

सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

मां के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

चैत्र नवरात्र की सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

स्कंदमाता की आरती (Skandamata Ki Aarti)

जय तेरी हो स्कंदमाता।

पांचवां नाम तुम्हारा आता।

सब के मन की जानन हारी।

जग जननी सब की महतारी।

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं।

हर दम तुम्हें ध्याता रहूं मैं।

कई नामों से तुझे पुकारा।

मुझे एक है तेरा सहारा।

कहीं पहाड़ों पर है डेरा।

कई शहरो में तेरा बसेरा।

हर मंदिर में तेरे नजारे।

गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।

इंद्र आदि देवता मिल सारे।

करे पुकार तुम्हारे द्वारे।

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।

तुम ही खंडा हाथ उठाएं

दास को सदा बचाने आईं

'चमन' की आस पुराने आई।

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