बेल पत्र के पेड़ के नीच इन मंत्रों का जप प्रदान करता है धन और समृद्धि
जन्म कुंडली के षष्ठ, अष्टम या द्वादश भाव में चंद्रमा की उपस्थिति व्यक्ति को अतिविचारशीलता, संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता प्रदान करके भावुक व स्वप्नदृष्टा बनाती है। लेकिन अत्यधिक संवेदनशीलता व अति भावुक होने से इनका व्यक्तित्व एकतरफा, रूखा व नाटकीय होकर इनके लाभ और सफलता पर कई बार उद्यम के अभाव में प्रभावित करता है और इनके जीवन पर नकारात्मक असर डालता है। इन्हें धन के जोखिम से बचाना चाहिए तथा सट्टे या फ़्यूचर ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए अन्यथा लाभ की जगह हानि होगी।
इसे भी आजमाइए
अगर घर में बार-बार वाद-विवाद रहता हो तो पूरे घर में घी से भीगे कपूर को प्रज्ज्वलित कर पूरे घर में दिखाएं। क्लेश के उन्मूलन में राहत मिलेगी, ऐसा मान्यताएं कहती हैं।
बात पते की
केतु यदि कुंडली के सप्तम भाव में आसीन हो तो अर्थ लाभ देता है। इन व्यक्तियों को जीवन में स्थिर रूप से उत्तम सुख मिलता है। इन्हें शत्रुओं और विरोधियों पर विजय हासिल होती है। ये वर्ष की आयु के बाद अपार मान-प्रतिष्ठा के भागी है। घमण्ड और झूठे वादों से ये मुसीबत में फँसते हैं। कई बार ये भ्रमित नज़र आते हैं।कभी कभी सही को ग़लत समझ बैठते हैं। इन्हें अपनों पर बार बार संदेह होता रहता है। किसी करीबी व्यक्ति के कारण इन्हें मानहानि का सामना करना पड़ता है। मित्रों से इन्हें पीड़ा मिलती है। दाम्पत्य सुख में कमी होती है। धन आने पर ये मुक्त हस्त से खर्च करते हैं, जिससे भविष्य में अर्थ कष्ट का उदय होता है। पैतृक संपत्ति का सुख इनको नहीं मिलता। शत्रुओं का भय रहता है।सरकार से इन्हें तनाव प्राप्त होता है। अधूरा ज्ञान इन्हें झमेले में फंसाता है। विरोधियों की साज़िश इनको पीड़ा पहुंचाती है।शरीर के मध्य भाग में चोट चपेट से कष्ट होता है। यह केतु अधीर, कायर, ईर्ष्यालु और अभिमानी बनाता है। जीवन के अंतिम कुछ वर्षों में इनके भीतर आध्यात्मिकता बोध प्रस्फुटित होने लगता है। इनके पैरों में कमज़ोरी आ जाती है। इनको नाना और मामा से मिलने वाले स्नेह पर नकारात्मक असर पड़ता है।