सामान्य ज्ञान

ऐसी घटनाएं डराती है आदमी को...

शहर बड़ा होता जाता है, शहर की आबादी बढ़ती है तो राज्य में हर तरह के नशे का धंधा भी बढ़ जाता है।शिक्षा के साथ बेरोजगारी भी बढ़ती है तो इन तमाम कारणों से राज्य व शहर में अपराध करने वाले बढ़ जाते हैं, अपराध बढ़ जाते है।यह सच है कि लोगों के जानो-माल की रक्षा करना सरकार व पुलिस का काम है। राज्य व शहर में अपराध न होने देना,अपराध रोकने के उपाय करना सरकार व पुलिस का दायित्व है।वह कोई उपाय नहीं कर पा रही है, वह रोक नहीं पा रही है तो इसके लिए विपक्ष के साथ ही जनता भी उसकी कड़ी आलोचना  तो करेगी ही।

कुछ अपराध ऐसे होते हैं जो होते तो छोटे हैं लेकिन वह होते रहते हैं तो जनता डरती है।उसके न चाहने पर भी उसके मन में घर से बाहर जाते वक्त यह ख्याल आता है कि कहीं कोई नशेड़ी उसे रास्ते में रोक तो नहीं लेगा, गांजा, शराब पीने के लिए पैसे तो नहीं मांगेगा।पैसे नहीं देने पर मोबाइल छीन तो नहीं लेगा, मोबाइल नहीं देने पर चाकू तो नहीं मार देगा।राजधानी में बड़ी संख्या में लोग दिन में काम करने के बाद रात से लेकर देर रात तक घर लौटते हैं।जब रात को लूट की घटनाएं बढ़ जाती हैं तो वह घर लौटते हुए डरते हैं कि कहीं उनको कोई लूट न ले।जब तक घर का नौकरी करने गया सदस्य घर लौटकर नहीं आ जाता है, घर वालों को भी डर लगा रहता है कि कहीं उसके कुछ बुरा न हो जाए।

 
 

शहर की सड़कों पर नशा करके घूमते युवा किसके साथ क्या करेंगे इसका कोई ठिकाना भी नहीं रहता। नशा किए हुए लोग अपराध करते हुए डरते भी नहीं है। इसलिए माना जाता है कि शहर में अपराध बढ़ने का एक कारण नशाखोरी है और नशाखोरी इसलिए बढ़ रही है कि शहर में हर तरह का नशा आसानी से लोगों को मिल जाता है।नशा करने के लिए रोज पैसा चाहिए।आदतन नशेड़ी अपराधियों को सबसे आसान काम यही लगता है कि रास्ते में जो भी मिले उसे लूट लो, सौ दो सौ रुपए तो मिल ही जाएगा, पैसा नहीं मिला तो मोबाइल तो जरूर मिल जाएगा। उसे बेचकर नशे के लिए पैसा मिल जाएगा। 

 
 

जनता चाहती है कि पुलिस ऐसा कुछ करे कि कम से कम कोई किसी को लूट न सके ।पचास सौ रुपए के लिए कोई नशेड़ी किसी की हत्या तो न करे।इसके लिए जरूरी है कि पुलिस गश्त करें और रात के वक्त जितने भी नशेडी मिलते है,उनको पकड़कर थाने ले जाए।जेल भेज दे।यह काम इस तरह रोज किया जाना चाहिए कि नशेड़ी रात को शहर में घूमते हुए डरें।नशेडियों के पुलिस का डर नहीं है, इसलिए वह देर रात तक घूमते रहते है।नशे में देर रात तक घूमते बदमाश तो जो सामने दिख जाता है, उसे अपना शिकार बना लेते हैं।

 
 

यही अंबिकापुर से रायपुर आए ईश्वर राजवाड़े के साथ हुआ।वह अपने विभाग के एसडीओ को लेकर रायपुर आया था और अपने परिचित के साथ खाना खाने के बाद सड़क पर टहल रहा था। इसी दौरान तीन युवक  दोपहिया में आए और पचास रुपए मांगे, यह कहने पर नहीं है,मोबाइल छीन लिया, ईश्वर ने विरोध किया तो उसे चाकू मार दिया और तीनों भाग गए। पुलिस ने बाद में तीनों को पकड़ लिया है लेकिन बुरी तरह घायल ईश्वर की मौत हो गई।

 
 

एक सप्ताह में तेलीबांधा मरीन ड्राइव क्षेत्र में यह दूसरी हत्या है।ऐसी घटनाओं का लोगों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़़ता है,वह सोच कर घर से निकलते हुए डरते हैं कि उसके साथ भी ऐसा हो सकता है। घर से बाहर निकलने पर डर लगा रहता है कि उसके साथ कुछ बुरा न हो जाए। सरकार व पुलिस को समझने की जरूरत है कि ऐसी घटनाओं से ही पुलिस व सरकार पर से लोगों का भरोसा कम होता है। ऐसी घटना को अंजाम देने वालों को पकड़ने से लोगों का भराेसा कायम नहीं रहने वाला है।

लोग तो सरकार व पुलिस पर पूरा भरोसा तब ही करेंगे जब ऐसी घटना ही न हो। ऐसी घटनाओं को न होने देना पुलिस की जिम्मेदारी है, जनता कोई बहाना नहीं सुनना चाहती है, उसे ऐसा करके दिखाना होगा। पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए है तो जनता को सुरक्षा का एहसास भी तो होना चाहिए। वह घर से बाहर निकले तो उसे डर तो न लगे कि उसके साथ भी कुछ बुरा हो सकता है।

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