छत्तीसगढ़ / बालोद

बालोद : रिश्वत के ईंधन से पक रहीं ईंट, बेखौफ संचालित हो रहे अवैध ईट भट्ठे

 मिट्टी काट कर जमीन कर रहे बर्बाद, पेड़-पौधों को भी नुकसान

 
फिरोज अहमद खान (पत्रकार)
बालोद। क्षेत्र में इन दिनों अवैध ईंट भट्ठों का कारोबार बेखौफ चल रहा है। इससे खनिज विभाग को हर महीने लाखों रुपए की राजस्व की हानि हो रही है मगर अवैध ईंट भट्ठे संचालकों पर कार्रवाई नहीं होने से संचालकों के हौसले बुलंद हैं। ईट भट्टा हमारे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाते है। क्योंकि इनसे निकलने वाला धुआं हमारे वातावरण में कार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड को भर देता है।
 
जानकर बताते है कि अवैध रूप से चल रहे ईंट भट्ठों में नाबालिग बच्चों से भी काम धड़ल्ले से लिया जाता है। बढ़ते प्रदूषण से पर्यावरण को नुकसान विश्वव्यापी समस्या बनी हुई है। बावजूद इसके बालोद जिला मुख्यालय और आसपास में प्रदूषण संकट को बढ़ावा देने वाले हजारों ईंट भट्ठे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। यह ईंट भट्ठे न केवल सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाके बल्कि जिला मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर चल रहे है। सीधी सी बात है ये जिला प्रशासन और पर्यावरणविदों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। इनमें से अधिकांश ईंट भट्ठा संचालकों ने न तो खनिज विभाग से ही अनुमति ले रखी है और न ही छत्तीसगढ़ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से। वहीं इनके संचालन से राजस्व और पर्यावरण को साफ साफ नुकसान हो रहा है।
 
शासन-प्रशासन द्वारा आए दिन खनिज विभाग को अवैध रूप से संचालित होने वाले ईंट भट्ठों पर कार्रवाई करने का दिशा-निर्देश दिया जाता है। वही जिला खनिज अधिकारी बीमार होने की बात कहकर या कभी विभाग में कर्मचारियों की कमी का रोना रोकर पल्ला झाड़ लेते है। विभाग से जुड़े जानकर बताते है कि आंख मूंदने और मुंह पर मोटी पट्टी बांधने मोटा लिफाफा हर महीने पहुंच जाता है इसलिए अधिकारी टाल मटोल करते है। मालीघोरी गांव से ठीक पहले सड़क किनारे जुझारा पुल के बाजू ही खुलेआम अवैध ईट भट्टा संचालित है। जिसके बगल से रोजाना विभागीय अधिकारियों का आना जाना लगा रहता है। साफ जाहिर है शिव चक्रधारी के अवैध ईट भट्ठे के पास से गुजरते ही जिले के जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंद लेते है। वही अर्जुदा के पास ही मनीष पांडे के ईट भट्ठे में हरी लकड़ियों का ढेर रखा हुआ है जिसे वे भट्ठे की आग में ईट पकाने के लिए झोंकेंगे। इस संबंध में हमारे संवाददाता ने उनसे पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि आपको जो छापना है छाप दो, हमे कोई फर्क नही पड़ता। डौंडी क्षेत्र में भी कुंआगोंदी, बम्हनी तथा मरदेल में भी अवैध ईट भट्ठे धड़ल्ले से संचालित है जिसके लिए जंगल के हरे भरे पेड़ो को काट इनकी लकड़ी भट्ठों में झोंक रहे है।
 
ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों ईंट भट्ठे का कारोबार बगैर विभागीय अनुमति व रायल्टी जमा किए धड़ल्ले से चल रहा है। इससे खनिज विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। शासन-प्रशासन के नियम कायदे को ईंट भट्ठे के संचालकों ने ताक पर रख दिया है। इसके चलते वे न तो विभाग से किसी तरह अनुमति लेना जरुरी समझते न ही रायल्टी की राशि जमा करते। गांव-गांव में लोग ईंट बना रहे हैं, मगर खनिज विभाग की अनदेखी से ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इससे शासन को लाखों रुपयों के खनिज रायल्टी का नुकसान हो रहा है जबकि लाल ईट बनाने वाले ईट भट्ठा संचालकों द्वारा कई जगह ईट भट्टे का निर्माण कर लाखों रूपयें की कमाई की जा रही है, वहीं पर्यावरण को दूषित किया जा रहा है, जबकि ईट भट्ठा के लिए पहले खनिज विभाग व पर्यावरण से इसकी मंजूरी लेकर ईट बनाने का कार्य किया जाता है, लेकिन इस क्षेत्र के ईट भट्टा संचालक द्वारा बिना स्वीकृति लिए ही ईट भट्ठे का संचालन किया जा रहा है। 
 
वनों की कटाई के अलावा भट्ठों में पानी की बर्बादी की जा रही है। ईंट बनाने के लिए काफी मात्रा में पानी की जरूरत होती है,जो कि तालाबों और नदियों से लिया जाता है।क्षेत्र के ज्यादातर ईंट भट्ठे नदी या तालाब किनारे ही संचालित है। वैसे भी जलश्रोत नीचे चलें जाने के कारण हैंडपंपों से पानी निकलना बंद हो गया है। अवैध ईंट भट्ठे अनवरत चलते रहें तो जल स्त्रोत सूख जाएंगे। अवैध उत्खनन व परिवहन पर नियंत्रण एवं रोक के लिए सरपंच, पंचायत विभाग के पदाधिकारियों को भी खनिज मैनुअल के नियम 53 पर भी प्रावधान है।
 
जानकारों के मुताबिक फिक्स चिमनी ईंट भट्ठा के संचालन के लिए सबसे पहले पर्यावरण (ईसी) प्रदूषण सर्टिफिकेट, सीटीएस (कांस्टेंट टू स्टैबलिस्ट), सीटीओ (कांस्टेंट टू ऑपरेट) आदि प्रमाण पत्र बनवाने की जरूरत पड़ती है। इसके लिए ईंट भट्ठा संचालकों को लंबी प्रक्रिया के साथ जगह-जगह राशि भी जमा करनी पड़ती है। धनबाद में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय है, जहां से सबसे पहले पर्यावरण प्रदूषण सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। सीटीओ प्रमाण पत्र लेने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड धनबाद में अप्लाई करना पड़ता है।
 
अवैध ईंट भट्ठा संचालकों द्वारा मिट्टी की आवश्यकता पूरी करने के लिए बड़े-छोटे पेड़ों को बेखौफ काटा जा रहा है। इसके कारण वायु प्रदूषण का खतरा भी बढ़ गया है। बढ़ते प्रदूषण के कारण बुजुर्ग और बच्चे कई तरह की बीमारियां के भी शिकार हो रहे हैं। क्षेत्र में संचालित अवैध ईंटा भट्ठा संचालक प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर प्रकृति का दोहन भी कर रहे हैं। इसके बावजूद इनके खिलाफ खनिज विभाग या स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जाना, महकमे पर सवाल खड़ा करता है।
 
अवैध ईट निर्माण के लिए अवैध मिट्टी खनन तथा अवैध खनिज परिवहन के संबंध में हमारे संवाददाता ने खनिज विभाग, जिला - बालोद के निरीक्षक शशांक सोनी से कई बार फोन पर बात करनी चाही लेकिन उन्होंने फोन नही उठाया। फोन ना उठाने से हमे ज्ञात होता है कि जिले के खनिज निरीक्षक रात दिन एक कर रहे है कि कोई भी अवैध खनिज उत्खनन व अवैध खनिज का परिवहन ना कर सके लेकिन ऐसा कही भी दिखाई नही देता। जिला खनिज विभाग, खनिज माफिया पर कार्यवाही करने के बजाय उन्हें सुगमता से संसाधन उपलब्ध कराने में प्रतिबद्ध दिखता है जिसकी वजह से अखबारों में खनिज विभाग के गुणगान वाले समाचार प्रकाशित ही नही होते है। 
 
 
वर्जन 
चुनाव ड्यूटी के कारण बहुत ज्यादा व्यस्तता थी। आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है। अब चुनाव के बाद बालोद जिले में अवैध ईट भट्ठों पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
 
देवव्रत मिश्रा
क्षेत्रीय पदाधिकारी, 
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, दुर्ग भिलाई।
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राजस्व विभाग द्वारा लगातार अवैध ईट भट्ठों पर कार्यवाही की जाती है। अभी लोकसभा चुनाव, निर्वाचन के कारण ड्यूटी में व्यस्तता थी। चुनाव के बाद अवैध ईट भट्ठों पर कार्यवाही की जाएगी।
 
हिंसाराम नायक
तहसीलदार, डौंडी, जिला - बालोद
 
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वन क्षेत्रों और जंगलों से किसी भी प्रकार की अवैध कटाई नही हो रही है। आपको गलत जानकारी मिली है। हमारे सिपाही लगातार जंगल में गश्त करते है।
 
जीवन भोंडेकर
वन परिक्षेत्र अधिकारी, वन विभाग डौंडी, जिला - बालोद

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