शिक्षा

शिक्षण एवं अभीगम मै प्रयुक्त विभिन्न दार्शनिक बिंदुओं पर की चर्चा

शिक्षक हर दिन क्लास में नई तकनीक से कराए अध्यापन कुलपति प्रोफेसर सुमेर सिंह

महंत लक्ष्मीनारायण दास महाविद्यालय एवं विप्र व कला एवं शिक्षण महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यशाला का तीसरा दिन

रायपुर: महंत लक्ष्मीनारायण दास महाविद्यालय एवं विप्र कला एवं शिक्षण महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित शिक्षा शास्त्र एवं नई शिक्षा नीति पर आयोजित सात दिवसीय कार्यशाला के तीसरे दिन शिक्षण एवं अभी गम में प्रयुक्त विभिन्न दार्शनिक बिंदुओं पर चर्चा रखी गई जिसमें आई आई एम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुमेर सिंह ने विषय पर विस्तार से चर्चा रखी और यह बताया की शिक्षक को हर दिन क्लास में उत्साह बनाए रखने के लिए नई नई शिक्षण तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए उनका कहना था कि ऐसे में इन विधियों से क्लास में विद्यार्थी का उत्साह बना रहता है और शिक्षक को भी सीखने की प्रवृत्ति पर जाकर हर दिन अध्ययन और अध्यापन की प्रवृत्ति में नया करने का प्रयास करना चाहिए वर्तमान नई शिक्षा नीति में कई बातें इस प्रकार की शामिल है जो इन बिंदुओं पर दृष्टि डालती हैं

उन्होंने कहां की कार्यशाला में कई शिक्षक किस प्रकार के हो सकते हैं जो टीचर्स बाई चॉइस होंगे ऐसे में इन सभी शिक्षकों को नए-नए इनोवेटिव आइडिया के साथ सीखने की और सिखाने की प्रवृत्ति रखनी होगी क्योंकि शिक्षक क्लास को संभालने के दौरान नई तकनीक का उपयोग करता है तो उसे इस बात का आभास होना चाहिए कि वह तकनीक क्या है यही नहीं उनका कहना था कि शिक्षा की तकनीक में नए प्रयोगों को अपनाते हुए अन्य शिक्षकों के बीच बांटने की भी आवश्यकता को समझना चाहिए इससे उस तकनीक का विस्तार होगा और शिक्षक का भी अध्ययन अध्यापन बेहतर होगा प्रोफेसर सुमेर सिंह एकदम पाकी के हिस्से को उदाहरण के रूप में कार्यशाला के दौरान प्रस्तुत करते हुए यह बताया कि नहीं शिक्षक दिखने के कौन से ऐसे बिंदु हैं |

जो वर्तमान में शिक्षकों के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि शिक्षा जगत में नकारात्मकता और सकारात्मकता दोनों की आवश्यकता बराबर की है यहां तक की श्री सिंह ने पुराने अध्यापन कराए गए विषय को संदर्भ के रूप में उपयोग करने की चर्चा रखी और कहा कि ऑनलाइन तकनीक का जितना अधिक उपयोग आप शिक्षक शिक्षण में करेंगे उतने सफल घोषित होंगे शिक्षण कौशल के ऊपर बातचीत के दौरान कुलपति सुमेर सिंह ने यह भी कहा की शिक्षक को शिक्षण कौशल तुलनात्मक अध्यापक को भी अपनाने की आवश्यकता है आत्मविश्वास गरिमा साहस खुलकर रखने वाली चर्चाएं होनी चाहिए|

उन्होंने कहा कि शिक्षक में नई चुनौतियों को नई तकनीक को स्वीकारते हुए साहस के साथ पढ़ाने की कला भी आनी चाहिए क्या नई तकनीक है क्या लाए प्रयास हो रहे हैं यह भी शिक्षा का हिस्सा होना चाहिए वहीं आयोजन में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ देवाशीष मुखर्जी ने स्वागत उद्बोधन कुलपति सुमेर सिंह का परिचय रखा और कहा कि कार्यशाला में पहले 2 दिन बहुत लाभकारी चर्चाएं हुई है और यह विश्वास करते हैं कि आने वाली कार्यक्रम में यह चर्चाएं और उत्साह बना रहेगा उन्होंने बताया कि शिक्षा में समन्वय किस प्रकार से लाया जा सकता है इस पर भी अवश्य चर्चा हो रही है और यह कार्यशाला उसका एक उदाहरण पेश करती है

आज के आयोजन में विशेष रुप से पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय लॉ डिपार्टमेंट के डॉक्टर आलेख साहू एवं कुसुम ताई दबके विधि महाविद्यालय की डॉक्टर प्रीति सतपति और डॉक्टर तपेश गुप्ता की विशेष मौजूदगी रही  

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