सामान्य ज्ञान

पीरियड्स डेट को बाधित कर सकती हैं जीवनशैली की कुछ आदतें, जानिए नियमितता लाने के कौन-से उपाय आएंगे काम

 

  • हम क्या खा रहे हैं, पी रहे हैं या फिर कब सो रहे हैं इसका हमारे स्वास्थ्य पर काफ़ी असर पड़ता है, ये हम सब जानते हैं।
  • क्या आप जानती हैं जीवनशैली की इन्हीं आदतों का असर मासिक धर्म की नियमितता को भी बाधित कर सकता है। जानिए वे आदतें कौन-सी हैं...
  • पीरियड्स या मासिकधर्म की अवधि आपके शरीर की हॅार्मोनल गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली ग्रंथियों से संचालित होती है, जो आहार, व्यायाम और तनाव से प्रभावित होती है। ये कारण मासिक धर्म के समय की चिड़चिड़ाहट में भी अहम भूमिका निभाते हैं। एक औसत मासिक धर्म चक्र 28 दिनों का होता है और 22 से 35 दिनों के बीच के बदलाव को सामान्य माना जाता है। हालांकि कभी ये अंतर अधिक या कम हो जाए तो बहुत घबराने की बात नहीं है पर ऐसा नियमित तौर पर दिख रहा है तो विशेषज्ञ से सलाह लेने के साथ ही जीवनशैली से जुड़े इन कारकों की भी पहचान करें जो इस नियमितता पर असर डालते हैं।

    आहार में परिवर्तन

    खानपान में लगातार बदलाव करते रहने से मासिक धर्म में अनियमितता दिख सकती है। यहां भोजन में बदलाव से मतलब है कि कैलोरी का अपर्याप्त सेवन। कभी-कभार मसालेदार भोजन कर लेने से इसका प्रभाव नहीं पड़ता पर निरंतर आहार परिवर्तन प्रतिकूल असर डाल सकता है।

    तनाव लेना

    स्वास्थ्य के लिए तो कहा ही जाता है कि चिंता चिता के समान होती है। पर अत्याधिक तनाव मासिक धर्म चक्र को भी तेज़ी से प्रभावित करता है। चूंकि तनाव होने शरीर में हॅार्मोन के स्राव को सक्रिय कर देता है, जो मासिक धर्म की अनियमितता का कारण बनते हैं।

    धूम्रपान और शराब का सेवन

    धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन दोनों आपके मासिक धर्म चक्र में हस्तक्षेप कर सकते हैं, क्योंकि सिगरेट में मौजूद निकोटीन, पीएमएस के लक्षणों को ख़राब कर सकता है जबकि शराब शरीर में हॅार्मोन के स्तर को बदल सकती है।

    वज़न में बदलाव

    वज़न में उतार-चढ़ाव होने से, शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर प्रभावित होता है, जिससे मासिक धर्म चक्र प्रभावित हो सकता है। अतिरिक्त वसा से एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ सकता है, जबकि तेज़ी से वज़न घटने से एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है।

    हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव

    थायरॉइड असंतुलन मासिक धर्म की नियमितता को बाधित कर सकता है। ज़्यादा सक्रिय थायरॉयड ग्रंथि के कारण मासिक धर्म की समयावधि ज़्यादा या बार-बार यानी एक महीने में दो बार भी हो सकती है वहीं कम सक्रिय थायरॉयड ग्रंथि के कारण समयावधि कम हो सकती है।

    कीटनाशकों का संपर्क
    शोध से पता चलता है कि कीटनाशकों के संपर्क में आने से भी मासिक धर्म में अनियमितता देखने को मिल सकती है। ऐसे रसायनों के संपर्क में अक्सर खेत में काम करने वाली महिलाएं आती हैं। लेकिन बाग़वानी का शौक रखने वाली महिलाएं भी इस संबंध में सावधानी बरतें।

    आज़माएं ये उपाय

    • दालचीनी में मौजूद आयरन, मैग्नीशियम, तांबा, जस्ता, लाइकोपीन जैसे समृद्ध खनिज मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि सेब का सिरका नियमित मासिक धर्म को अच्छा कर सकता है, ख़ासकर पीसीओएस वाली महिलाओं में।
    • फोलिक एसिड, अमीनो एसिड, सैलिसिलिक एसिड, विटामिन ए, सी, ई और बी12 से भरपूर एलोवेरा अनियमित मासिक धर्म चक्र के लिए प्राकृतिक उपचार है। यह हॅार्मोन को नियंत्रित करके समय पर मासिक धर्म के होने व प्रवाह को सुधारने तथा निरंतर करने में सहायता करता है।
    • यदि आप लगातार बैठे रहती हैं तो अपनी दिनचर्या में कुछ शारीरिक गतिविधियों को ज़रूर शामिल करें। इससे मासिक धर्म के दर्द को कम करने में काफ़ी मदद मिलती है साथ ही नियमितता भी बनी रहती है।
    • नियमित रूप से योग और व्यायाम का अभ्यास करने से शारीरिक कार्यप्रणाली में सुधार होता है जिससे मासिक धर्म संबंधी अनियमितताओं को कम करने में मदद मिलती है।
    • अदरक का सेवन भी फ़ायदेमंद है, इसमें मौजूद विटामिन-सी और मैग्नीशियम पीरियड्स के रक्तस्राव और दर्द को कम करने में मदद करते हैं।
    • अनन्नास में मौजूद ब्रोमेलिन एंज़ाइम अनियमित मासिक धर्म और शरीर में सूजन को कम करने में मदद करने के लिए जाना जाता है।
    • वज़न को संतुलित बनाए रखेंं। इसके लिए यदि आवश्यक हो तो हेल्थकेयर प्रोफेशनल से परामर्श लें।
    • विटामिन-डी और बी की खुराक भी पीरियड्स को नियमित करने और पीएमएस के लक्षणों को कम करने में मददगार है।

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