रोचक तथ्य

अंतरिक्ष में बढ़ रहा ट्रैफिक कभी भी गिर सकते है करोड़ों रॉकेट-सेटेलाइट के टुकड़े, देखे

 नई दिल्ली एलन मस्क और जेफ बेजोस हजारों की तादाद में सेटेलाइट भेजने की तैयारियां कर रहे हैं। ऐसे में स्पेस एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। लियो लैब नाम की एक कंपनी ने इसका इंटरेक्टिव मैप बनाया है, जो बेहद डराता है। ये मैप बताता है कि अगर समय रहते नहीं चेते तो भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इस लैब ने कचरे पर नजर रखने के लिए अलास्का, टेक्सस, न्यूजीलैंड और कोस्टा रिका में रडार लगाए हैं, जो अंतरिक्ष में कचरे पर नजर बनाए हुए है। यह सिस्टम छोटे से छोटे कचरे को भी डिटेक्ट कर सकता है।

सबसे ज्यादा कचरा फैलाने वाला देश


अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा कचरा फैलाने वाला देश अमेरिका है। सिर्फ नासा ही नहीं बल्कि बहुत सारी प्राइवेट कंपनियां भी अंतरिक्ष में सेटेलाइट भेज रही हैं। लियो लैब के मुताबिक अमेरिका की 8497 चीजें अंतरिक्ष में तैर रही हैं। इनमें रॉकेट के टुकड़े, पेलोड और सेटेलाइट का कचरा है, जो पृथ्वी की कक्षा में घूम रहे हैं। दूसरे नंबर पर रूस का नाम है, जिसकी 4836 वस्तुएं स्पेस में बिखरी पड़ी हैं। चीन के भी 4,047 ऑबजेक्ट ब्रह्मांड में घूम रहे हैं। भारत की 143 तो जापान 142 चीजें अंतरिक्ष में हैं।

अंतरिक्ष में बढ़ रहा ट्रैफिक

तमाम देशों के अलावा निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष के लिए प्रोजेक्ट चला रहे हैं। इससे विशेषज्ञों को अंतरिक्ष में सेटेलाइट ही सेटलाइट भरने की आशंका होने लगी है। एलन मस्क के स्पेस एक्स ने 12 हजार से ज्यादा सेटेलाइट्स लॉन्च करने की योजना बनाई है और अभी तो उसने महज 4000 की ही शुरुआत की है। वहीं अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस भी 3 हजार से ज्यादा सेटेलाइट लॉन्च करना चाहते हैं।

अंतरिक्ष में इतनी ज्यादा सेटेलाइट होने लगी हैं, उनके आपस में टकराने का खतरा पैदा हो गया है। डेली मेल की खबर के अनुसार शोधकर्ताओं ने पाया कि हर हफ्ते स्टारलिंक की औसतन 1600 सेटेलाइट्स पर किसी दूसरी से टकराने का खतरा बना रहता है। दो मौके तो ऐसे आए जब दो सेटेलाइट्स के बीच महज की दूरी एक किलोमीटर से भी कम थी।

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एक अनुमान के मुताबिक पृथ्वी की कक्षा में इस समय 10,800 टन (करीब 98 लाख किलो) कचरा बिखरा हुआ है। इनमें से 200 तो ‘सुपर स्प्रेडर’ हैं। ये ‘सुपर स्प्रेडर’ दरअसल बड़े-बड़े रॉकेट हैं, जो टूटकर हजारों टुकड़ों में बिखर सकते हैं। इससे केसलर सिंड्रोम जैसी स्थिति बन सकती है। मतलब अंतरिक्ष में इतना ज्यादा मलबा कि वो सेटेलाइट्स और रॉकेट को नुकसान पहुंचा सकता है।

एक अनुमान के मुताबिक अंतरिक्ष में 17 करोड़ से ज्यादा ‘अंतरिक्ष कचरा’ तैर रहा है। इनमें से महज 27 हजार का ही अभी तक पता चल सका है। ये टुकड़े बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं क्योंकि इनकी स्पीड करीब 27 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की है। यह स्पीड इतनी ज्यादा है कि एक छोटा सा टुकड़ा भी किसी रॉकेट या सेटेलाइट को तबाह कर सकता है। कई मौकों पर धरती पर भी स्पेस का कचरा आकर गिरा है।

 


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