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राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवसः वेदांता एल्यूमिनियम ने पेटेंट की हुई ’पॉटलाइनिंग’ टेक्नोलॉजी के माध्यम से ऊर्जा कुशलता की घोषणा की

इस पहल को विद्युत मंत्रालय द्वारा ऊर्जा कुशलता में नवप्रवर्तन के लिए पुरस्कृत किया गया है; कंपनी ने अपनी दूसरी क्लाइमेट एक्शन रिपोर्ट भी जारी की है, जो टीसीएफडी फ्रेमवर्क से जुड़ी है

15  दिसंबर 2023: राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक कंपनी वेदांता एल्यूमिनियम ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि की घोषणा की है जो कि कंपनी के एल्यूमिनियम स्मेल्टरों में ’पॉट्स’ की लाइनिंग डिजाइन में की हासिल की गई है। इन स्मेल्टरों में अनेक पॉटलाइंस होती हैं, जो कि स्मेल्टर के भीतर ऊंची इमारतें होती हैं जिनमें ’पॉट्स’ की श्रृंखला होती है या बड़े इलेक्ट्रोलाइट सैल्स होते हैं, जिसके भीतर स्मेल्टिंग द्वारा एल्यूमिनियम उत्पादन किया जाता है। ’वेदांता लाइनिंग डिजाइन’ एक पेटेंट की हुई ऊर्जा-कुशल तकनीक है जो अधिक ऊर्जा कुशलता तथा स्मेल्टिंग पॉट्स की लंबी जिंदगी के दोहरे लाभ प्रदान करती है, एवं प्रति टन एल्यूमिनियम उत्पादन में ऊर्जा की खपत को  200 से 250 किलोवाट प्रति घंटा तक घटा देती है। 

विद्युत मंत्रालय के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने भी इस नवप्रवर्तन को पहचाना है और राष्ट्रीय ऊर्जा कुशलता नवप्रवर्तन पुरस्कार 2023 से पुरस्कृत किया है, जो महामहीम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में प्रदान किया गया। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर यह प्रतिष्ठित पुरस्कार कंपनी की पुख्ता प्रतिबद्धता का परिचायक बना है कि वह वैश्विक एल्यूमिनियम उद्योग में परिवर्तनकारी नवोन्मेष के जरिए ऊर्जा कुशलता की चैम्पियन बनने के लिए हर मुमकिन कोशिश करती रहेगी। कंपनी की पहलें संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के तहत उद्योग, नवोन्मेष व इंफ्रास्ट्रक्चर (एसडीजी9), जिम्मेदार खपत व उत्पादन (एसडीजी12) और क्लाइमेट एक्शन (एसडीजी 13)।

नई लाइनिंग तकनीक को न्यूमेरिकल कंप्यूटेशनल मॉडलिंग टेक्नीक का इस्तेमाल करते हुए डिजाइन किया गया है जो स्मेल्टिंग पॉट्स के भीतर इलेक्ट्रिकल एवं थर्मल व्यवहार को सिमुलेट करती हैं। एक वर्ष लंबे सफल परीक्षण के बाद यह डिजाइन सभी स्मेल्टरों में तैनात किए जाने के लिए तैयार है, जिनमें शामिल हैं- दुनिया के सबसे बड़े एल्यूमिनियम स्मेल्टरों में से एक वेदांता झारसुगुडा (ओडिशा), भारत की आइकॉनिक एल्यूमिनियम उत्पादक बाल्को का कोरबा (छत्तीसगढ़) स्थित स्मेल्टर। अनुमान है कि अकेले झारसुगुडा के सबसे बड़े स्मेल्टर में इसकी पूरी तैनाती के बाद 3.86 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड प्रति वर्ष के बराबर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन घट जाएगा। 

वेदांता एल्यूमिनियम ने अपनी दूसरी वार्षिक क्लाइमेट एक्शन रिपोर्ट भी लांच की है जो टास्क फोर्स ऑन क्लाइमेट रिलेटेड फाइनेंशियल डिस्क्लोज़र्स (टीसीएफडी) से जुड़ी है। टीसीएफडी फ्रेमवर्क में दिशानिर्देश शामिल हैं जो कंपनियों की मदद करते हैं कि वे अपने स्टेकहोल्डरों के लिए जलवायु संबंधी वित्तीय जोखिमों एवं अवसरों का खुलासा करें। यह विस्तृत रिपोर्ट पारदर्शी तरीके से बताती है कि वेदांता एल्यूमिनियम ने लघु, मध्यम एवं दीर्घ समय अवधि में अपनी सस्टेनेबिलिटी को हासिल करने के लिए क्या तरीके अपनाए हैं।

यह पूरी रिपोर्ट कंपनी की वैबसाइट पर उपलब्ध है और इस लिंक के जरिए उस तक पहुंचा जा सकता हैः
https://vedantaaluminium.com/sustainability/sustainability-report/ 

कंपनी के ऊर्जा संरक्षण प्रयासों पर वेदांता एल्यूमिनियम के सीईओ श्री जॉन स्लेवन ने कहा, ’’वेदांता एल्यूमिनियम के लिए क्लाइमेट एक्शन एक प्रमुख रणनीतिक स्तंभ और व्यापारिक अनिवार्यता है, जिसका क्रियान्वयन दोतरफा रणनीति से किया जाता है- कार्बन फुटप्रिंट में न्यूनता लाना और उसके दुष्प्रभावों की भरपाई करना। ऊर्जा प्रबंधन एवं संरक्षण इस पूरे प्रयास का अभिन्न पहलू है और इसलिए हम एल्यूमिनियम उद्योग के भीतर इस अभियान की अगुआई पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। इनमें शामिल हैं ऊर्जा खपत का अधिकतम सदुपयोग तथा सस्टेनेबल ऊर्जा विकल्पों की ओर चलना, इस तरह हम पूरी इंडस्ट्री वैल्यू चेन में जिम्मेदाराना उत्पादन में नई मिसालें स्थापित करेंगे।’’

नवप्रवर्तन के तहत कंपनी ने पॉट लाइनिंग डिजाइन में ग्रेफाइटाइज़ेशन को भी सफलतापूर्वक एकीकृत किया है, यह प्रक्रिया एल्यूमिनियम उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले कैथोड के गुणों को ग्रेफाइट के समान बना देती है - जो कि बिजली का उत्कृष्ट सुचालक है जिसे उच्च तापमान में स्थिरता के लिए जाना जाता है। यह प्रक्रिया कैथोड को सक्षम बनाती है, जो स्मेल्टिंग प्रक्रिया के लिए अहम है, बढ़ी हुई विद्युत चालकता दर्शाती है, ज्यादा ऊर्जा कुशलता और सस्टेनेबल प्रचालन में योगदान देती है। इसकी तैनाती दोनों स्मेल्टर लोकेशनों पर पूर्ण होने के करीब है। 

वेदांता एल्यूमिनियम 2050 तक कार्बन न्यूट्रेलिटी हासिल करने को प्रतिबद्ध है। वित्तीय वर्ष 2023 में कई प्रभावी ऊर्जा संरक्षण उपायों की श्रृंखला को लागू किया गया तथा कुल 14 लाख गीगाज्यूल्स ऊर्जा की बचत की गई है। वर्ष 2025 तक कंपनी की योजना अपनी कुल बिजली खपत का 7 प्रतिशत नवकरणीय ऊर्जा संसाधनों से प्राप्त करने की है। अकेले वित्तीय वर्ष 2023 में 1.37 अरब नवीकरणीय ऊर्जा की यूनिट्स का इस्तेमाल किया गया जो कि थर्मल पावर प्लांट में लगभग 150 मेगावाट बिजली पैदा करने के बराबर है।

वेदांता लिमिटेड की इकाई वेदांता एल्यूमिनियम भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक है। वित्तीय वर्ष 23 में 22.9 लाख टन उत्पादन के साथ कंपनी ने भारत के कुल एल्यूमिनियम का आधे से ज्यादा हिस्सा उत्पादित किया। यह मूल्य संवर्धित एल्यूमिनियम उत्पादों के मामले में अग्रणी है, इन उत्पादों का प्रयोग कई अहम उद्योगों में किया जाता है। वेदांता एल्यूमिनियम को एल्यूमिनियम उद्योग में डाउ जोंस सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स (डीजेएसआई) 2022 में दूसरी वैश्विक रैंकिंग मिली है, जो इसकी सस्टेनेबल डेवलपमेंट प्रक्रियाओं का प्रमाण है। देश भर में अपने विश्वस्तरीय एल्यूमिनियम स्मेल्टर्स, एल्यूमिना रिफाइनरी और पावर प्लांट्स के साथ कंपनी हरित भविष्य के लिए विभिन्न कार्यों में एल्यूमिनियम के प्रयोग को बढ़ावा देने और इसे ’भविष्य की धातु’ के रूप में पेश करने के अपने मिशन को पूरा करती है।

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