बालोद। डौंडी ब्लॉक में अवैध रेत उत्खनन व परिवहन का कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रतिदिन घोटिया, दल्ली राजहरा, डौंडी एवं अंचल के क्षेत्र में लगभग पांच सौ से सात सौ वाहन रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन में लगे हुए हैं। वहीं बालोद खनिज विभाग के अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि प्रतिदिन प्रशासन के नाक के नीचे लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। सबसे ज्यादा अवैध रेत का उत्खनन और परिवहन घोटियां स्थित तांदुला के पुल के नीचे से किया जा रहा है। जबकि पुल के ऊपर से ही राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी जिनमे एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आरआई (राजस्व) व पटवारी गुजरते है और नीचे तांदुला का सीना चीर रेत निकासी धड़ल्ले से की जा रही है। ग्रामीण सूत्रों ने बताया कि इस खुले खेल में रेत तस्करो द्वारा सभी संबंधित अधिकारियों तक नजराना पहुंचा दिया जाता है। वही खनिज शाखा में जब भी इस संबंध में फोन पर या कार्यालय में आमने सामने बात करो तो अधिकारी मुंह नाक सिकोड़ आंसू बहाने लग जाते है और चेहरा उतारकर बोलते है हमारे खनिज विभाग में एक ही खनिज इंस्पेक्टर है।
बताइए एक खनिज इंस्पेक्टर कहां कहां दौड़ लगाएगा और कहां कहां जायेगा। पूरा ठीकरा मंत्रालय और बालोद कलेक्टर पर फोड़ देते है। लेकिन इन अवैध रेत तस्करो तक कैसे इनका संपर्क हो जाता है और कैसे बंद लिफाफा इनके टेबल के नीचे पहुंच जाता है ये हमारी समझ से परे है। गौण खनिज उत्खनन और इसकी तस्करी पर जिले के तीन विभागो की जिम्मेदारी है जिनमे राजस्व विभाग, खनिज विभाग तथा पुलिस विभाग शामिल है।
रेत खनन करने वालों का कहना है कि अधिकारी का कार्य कार्रवाई करने का है और हमारा कार्य रेत उत्खनन व परिवहन करना है। घोटिया, दल्ली राजहरा, डौंडी, चिखलाकसा क्षेत्र में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष से जुड़े हुए लोग ही रेत का अवैध खनन व परिवहन कर रहे हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि जो लोग अवैध रेत उत्खनन व परिवहन का कार्य कर रहे हैं। खनिज विभाग और राजस्व अमला कोई कार्यवाही ही नही करता। वहीं शासन-प्रशासन भी मूकदर्शक बना हुआ है।
दल्ली राजहरा के निकट कोकान मार्ग से होते हुए कई छोटे-बड़े वाहन रेत का परिवहन कर रहे हैं। इसके बावजूद किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होना समझ से परे है। डौंडी पुलिस की नाक के नीचे से ही प्रतिदिन कई वाहन रेत लेकर जाते हैं। डौंडी ब्लाक क्षेत्र की नदी, नालों व रेत घाटों को उत्खनन कर रेत माफिया राजस्व को चूना लगा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार पल्लेकसा, पचेड़ा, मंगलतरई, पेंड्री, घोटिया, बेलोदा, कुरुटोला एवं अन्य नदी, घाटों से खुलेआम रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।
ग्रामीणों की शिकायत है कि बड़ी मुश्किल से मौके पर कभी-कभी खनिज अधिकारी पहुंचते हैं और स्टाफ की कमी का रोना रोते है। ग्रामीणों के अनुसार यहां प्रतिदिन सुबह-शाम कई पिकअप, डंपर व ट्रैक्टर से रेत परिवहन व जेसीबी से उत्खनन किया जाता है। बिना रायल्टी के रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन करने वालों के हौसले इतने बुलंद है कि उनको शासन - प्रशासन की कार्रवाई का डर नहीं है। खनिज विभाग के जिम्मेदारों को अवैध रेत उत्खनन व परिवहन के बारे में जानकारी पूछो तो स्टाफ की कमी का राग अलाप देते है।