रोजगार

हौसले और जज्बे से भविष्य संवार रहीं हैं गांव की महिलाएं

 हौसले और जज्बे से भविष्य संवार रहीं हैं गांव की महिलाएं

अदाणी फाउंडेशन की मदद से बहुराष्ट्रीय कंपनियों में जॉब कर रहीं हैं गांवों की महिलाएं
निशा और स्वाति की सफलता में अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर का महत्वपूर्ण योगदान
मध्य प्रदेश के दूरदराज गांवों से आने वाली निशा दहिया और स्वाति पटेल ने तमाम कठिनाइयों पर जीत हासिल करते हुए अमेज़न इंडिया में नौकरी हासिल कर एक नया बेंचमार्क स्थापित किया है। यह अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर (एएसडीसी) द्वारा शुरू किए गए कौशल विकास पहल के कारण संभव हो पाया है।
गांव से मल्टीनेशनल कंपनी तक का सफर
कटनी जिले के बैसवाही गांव की रहने वाली निशा ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण आगे पढ़ाई ना कर सकीं। जून 2023 में उन्हें पता चला कि कैमोर में एएसडीसी द्वारा स्किल ट्रेनिंग कोर्स करवाए जा रहे हैं। निशा ने इस कोर्स में दाखिला ले लिया और सितंबर 2023 में कोर्स पूरा करने के बाद उन्हें अमेज़न इंडिया में वेयरहाउस एग्जीक्यूटिव की नौकरी मिल गई। अब वह हर महीने 18,000 रुपये कमाती हैं। घर का खर्च चलाने के अलावा निशा मानसून से पहले अपने घर की मरम्मत करवाना चाहती हैं। 22 साल की निशा दहिया हौंसले की जीती जागती मिसाल हैं।
निशा की तरह, अमेज़न इंडिया में स्वाती पटेल ने भी नौकरी हासिल कर बुलंदी की नई दास्तान लिखी है। स्वाती भी मध्य प्रदेश के कटनी की रहने वाली हैं। खुद को सशक्त बनाने के लिए उन्होंने भी कैमोर में सक्षम सेंटर में वेयरहाउस पैकर का कोर्स किया और फिर उन्हें अमेज़न इंडिया में नौकरी मिल गई, जहां उनकी शुरुआती सैलरी करीब 13 हजार 500 रुपये है। उनकी बहन प्रियंका एक ब्यूटी थेरेपिस्ट के रूप में काम करती हैं और अपना पार्लर चलाती हैं। स्वाती की तरह, प्रियंका ने भी कैमोर स्थित सक्षम सेंटर से ब्यूटीशियन का कोर्स पूरा किया।
स्वाति कहती हैं, "मैं और मेरी बहन अदाणी फाउंडेशन की आभारी हैं, जिन्होंने हमें आर्थिक रूप से सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रशिक्षित किया।"
पिछले साल, वेयरहाउस पैकर्स बैच की 13 लड़कियों को, जिसमें कुल 16 महिला और 4 पुरुष ट्रेनी शामिल थे, को सनंद, अहमदाबाद के अमेज़न इंडिया में रखा गया था।
अदाणी फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक वसंत गढ़वी ने  कहा, "कौशल विकास में निवेश करके, भारत अपने युवा कार्यबल, खासकर महिलाओं की क्षमता का उपयोग कर सकता है, रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है और इनोवेशन व आर्थिक विकास को गति दे सकता है। मुझे बहुत खुशी होती है जब हम महिलाओं को कांच की छत को तोड़ते हुए उनके लिए अवसरों का विस्तार करते हुए और कार्यबल में उनकी भागीदारी बढ़ाते हुए देखते हैं। हमारी सक्षम पहल बदलाव लाने में सबसे आगे है और इसका लक्ष्य भारत के दूरदराज क्षेत्रों में युवाओं तक पहुंचने के लिए सीमाओं को पार करना है।"
फाउंडेशन के देशभर में 15 राज्यों में 40 से अधिक स्किल डेवलपमेंट सेंटर हैं। ये अपने 'सक्षम' पहल से युवाओं को ट्रेनिंग देते हैं और साथ ही उन्हें उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार नौकरी के लिए तैयार करते हैं। आज तक, एएसडीसी ने लगभग 1 लाख 40  हजार से अधिक युवाओं को ट्रेनिंग देकर सक्षम बनाया है।
एएसडीसी युवाओं को 70 से अधिक तरह की जॉब रोल के लिए ट्रेनिंग देता है, जिनमें घरेलू इलेक्ट्रीशियन, घरेलू वायरिंग, सिलाई, रिटेल सेल्स, डिजिटल साक्षरता, पेशेंट केयर सहायक, अग्नि सुरक्षा, वेल्डिंग और बहुउद्देश्यीय क्रेन का संचालन  जैसी ट्रेनिंग्स शामिल हैं। इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बुनियादी बातों को भी शामिल किया जाता है, जिसमें मेटावर्स के पहलू भी शामिल हैं।

Leave Your Comment

Click to reload image