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जबलपुर में महंगे दाम में डुप्लीकेट किताब बेचने वालों पर एक्शन

 मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में निजी स्कूलों और यूनिफार्म-बुक्स सेलर्स की सांठगांठ का भंडाफोड़ करने के लिए प्रशासन का डंडा जमकर चल रहा है. मंगलवार (9 अप्रैल) को एक साथ पांच एसडीएम ने बुक स्टोर्स पर ताबड़तोड़ जांच शुरू की. जांच के दौरान बहुत सी अनियमितताएं सामने आई हैं, जिन्हें रिपोर्ट की शक्ल देकर कलेक्टर को सौंपा जाएगा. 

प्रशासन की ओर से बताया गया है कि इन दुकानों में फर्जी आईएसबीएन (International Standard Book Number) की हजारों किताबें मिली हैं, जिसका मतलब है कि ये किसी रजिस्टर्ड पब्लिकेशन की नहीं हैं. कई दुकानों में एक ही क्लास की और एक ही सिलेबस की किताबों के दाम भी अलग-अलग मिले हैं.

कलेक्टर दीपक सक्सेना दिए थे जांच के आदेश
जबलपुर जिले में एक अप्रैल से स्कूल खुलने के बाद कॉपी, किताबों, यूनिफॉर्म और अन्य शैक्षणिक सामग्री में मची लूट-खसोट को देखते हुए कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जांच के निर्देश दिए थे. सबसे पहले तो कई स्कूलों की जांच कराई गई और स्कूलों पर प्रकरण दर्ज कराए गए. अब लगातार बुक स्टोर्स की जांच हो रही है. कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि शहर में भारी तादाद में डुप्लीकेट बुक बेचने की शिकायत मिली थी. ये फर्जी बुक हैं, जिन्हें किसी बिना रजिस्टर्ड पब्लिकेशन से छपवाया गया है और मुनाफा कमाने की नीयत से उनका विक्रय किया जा रहा था. 

बुक स्टोर्स पर की गई छापेमारी
ऐसी किताबों को पकड़ने के लिए सभी बुक का आईएसबी नंबर यानी इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर सर्च कराया जा रहा है. जो बुक नंबरों से मैच नहीं खा रहा हैं, उन्हें जब्त किया जा रहा है. इसे लेकर मंगलवार को एक साथ 5 एसडीएम ने कार्रवाई की. जांच के बाद बुक स्टोर्स का पक्ष भी जाना जाएगा और उसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी. जांच के दौरान पता चला कि शहर में इस तरह से एक ही सिलेबस की एक ही क्लास की बुक अलग-अलग दामों पर बेची जा रही हैं. दोनों ही पुस्तकों का पाठ्यक्रम एक है. लेकिन उनके रेट में करीब 100 रुपए का फर्क है. 

कलेक्टर को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
अधिकारियों के अनुसार शासन के निर्देश हैं कि 1 जनवरी तक हर स्कूल को बुक-लिस्ट नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना अनिवार्य होता है. जिससे कि नए स्कूल सत्र तक अभिभावक बच्चों की किताबें खरीद लें, पर अधिकतर स्कूल ऐसे हैं, जो कि मार्च में बुक-लिस्ट लगाते हैं. जिससे बुक की शॉर्टेज आ जाती है, जिसके कारण अभिभावकों को भटकना पड़ता है. गोरखपुर एसडीएम पंकज मिश्रा ने संगम बुक डिपो पर छापामार कार्रवाई की. उनका कहना है कि फेक आईएसबीएन की किताबें मिली हैं, जिनकी जांच की जा रही है. इसके साथ ही कुछ अन्य अनियमितताएं भी हैं, जिनकी पूरी रिपोर्ट बनाकर कलेक्टर दीपक सक्सेना को सौंपी जाएगी. 

7 हजार किताबों के आईएसबी नंबर में गड़बड़
एसडीएम रांझी आरएस मरावी ने नौदरा ब्रिज के समीप चिल्ड्रन बुक डिपो पर छापामार कार्रवाई की. यहां सर्वाधिक करीब 7 हजार ऐसी किताबें मिली हैं, जिनके आईएसबी नंबर मैच ही नहीं हो पा रहे हैं. इसके साथ ही यहां और भी कई तरह की अनियमितताएं मिली हैं. जांच के दौरान कलेक्टर दीपक सक्सेना स्वयं नौदरा ब्रिज स्थित चिल्ड्रन बुक डिपो पहुंच गए और फर्जी आईएसबी नंबर की पुस्तकें चेक की. इस दौरान एसपी आदित्य प्रताप सिंह एवं अपर कलेक्टर मिशा सिंह भी मौजूद थीं.

6600 किताबों पर नहीं मिला आईएसबी नंबर
अधारताल एसडीएम शिवाली सिंह ने उखरी तिराहे स्थित न्यू राधिका बुक पैलेस की जांच की. उनका पूरा दल बुक पैलेस की हर मंजिल पर रखी किताबों की जांच करता पाया गया. एसडीएम ने बताया कि कलेक्टर साहब के निर्देश हैं कि किसी भी अभिभावक के साथ ठगी नहीं होनी चाहिए. उसे निर्धारित दामों पर ही किताबें मिलनी चाहिए. एसडीएम जबलपुर अभिषेक सिंह ने गोलबाजार स्थित न्यू राधिका बुक पैलेस पर छापामारी की. यहां भी करीब 6600 किताबों पर आईएसबी नंबर नहीं मिला.

वहीं एसडीएम पाटन मानवेन्द्र सिंह के नेतृत्व में रामपुर की न्यू राधिका बुक पैलेस पर कार्रवाई की गई. यहां भी देर शाम तक जांच चली और बहुत सी किताबों की जब्ती कर आईएसबी नंबर की जांच की जा रही थी. मानवेन्द्र सिंह ने बताया कि जांच में 148 प्रकार की 948 बुक जब्त की गईं, जिनमें आईएसबीएन नहीं था. वहीं 21 प्रकार की किताबें ऐसी मिली हैं, जिनमें नंबर ही नहीं था.

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