छत्तीसगढ़ / बलरामपुर

दल से बिछड़े हाथी ने महिला को कुचल कर मार डाला

 अंबिकापुर। बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ वन परिक्षेत्र के पतराटोली गांव में दल से बिछड़े हाथी ने महिला को कुचल कर मार डाला। हाथी के आने की भनक लगते ही महिला घर छोड़कर भाग रही थी। अचानक उसका सामना हाथी से हो गया। महिला भाग नहीं सकी और हाथी ने उसे सूड़ से उठा पटक दिया। कुचलना से महिला की मौत हो गई।

हाथियों की निगरानी के लिए अलग-अलग टीम

 राजपुर क्षेत्र से घुसा जंगली हाथियों का दल भैरोपुर के आसपास विचरण कर रहा है। इसी दल में शामिल एक दंतैल हाथी अलग हो गया है। वह अकेले ही विचरण कर रहा है। दल से बिछड़ा हाथी हरिगवां, हर्राटोली के आसपास विचरण करते हुए गुरुवार शाम को ब्लाक मुख्यालय शंकरगढ के नजदीक ग्राम पंचायत दोहना के पास पहुंच गया था। हाथियों की निगरानी के लिए अलग-अलग टीम लगाई गई है।

मैदानी कर्मचारी आसपास मुनादी करने में लगे

अकेले विचरण करने वाले हाथी से खतरा अधिक होने के कारण उस पर विशेष नजर रखी जा रही थी। गुरुवार शाम को हाथी ग्राम पंचायत दोहना के आश्रित ग्राम पतराटोली के पास पहुंच गया था। वन विभाग के मैदानी कर्मचारी आसपास मुनादी करने में लगे हुए थे। लोगों को सतर्क रहने कहा जा रहा था। रात लगभग 9:30 बजे यह हाथी आबादी क्षेत्र के नजदीक पहुंच गया था।

इसी दौरान बसंती पैकरा (62) नामक महिला हाथी के आने की भनक लगते ही घर छोड़कर सुरक्षित स्थान की ओर भाग रही थी. उसे इस बात का संभवतः एहसास नहीं था कि हाथी नजदीक में ही है। घर से लगभग 50 मीटर की दूरी तक वह पहुंच पाई थी इस दौरान अरहर के खेत से हाथी अचानक बाहर निकला।हाथी से सामना होते ही महिला भाग नहीं सकी।

हाथी ने उसे सूड़ से उठाकर पटक दिया। कुचलने से मौके पर ही उसकी मौत हो गई। रात को हाथी आसपास ही विचरण करता रहा। सुबह वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची ।जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर मृतका के आश्रितों को 25 हजार की तात्कालिक आर्थिक सहायता राशि प्रदान कर दी गई है। मालूम हो कि इसके पहले भी दल से बिछड़े एक हाथी ने शंकरगढ़ वन परिक्षेत्र में धान की रखवाली कर रहे व्यक्ति को कुचल कर मार डाला था। एक सप्ताह के भीतर शंकरगढ़ वन परिक्षेत्र में हाथी के हमले से दो लोगों की मौत हो चुकी है। हाथियों का दल अभी भी इसी वन परिक्षेत्र में विचरण कर रहा है। हाथियों के स्वच्छंद विचरण करने से लोग भयभीत हैं।

दल से बिछड़ा हाथी ज्यादा आक्रामक, खतरा

वन अधिकारियों का कहना है कि दल से बिछड़ा हाथी ज्यादा आक्रामक होता है। उससे खतरा भी अधिक रहता है। अकेला होने के कारण खुद की सुरक्षा को लेकर इंसानों को देखते ही आक्रमण भी करता है। दल में रहने के दौरान इनकी गतिविधियां ज्यादा आक्रामक नहीं होती। अकेला होने के कारण तेजी से मूवमेंट करने से सही तरीके से निगरानी और उसकी उपस्थिति का पता लगाना भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण रहता है।

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