छत्तीसगढ़ / जशपुर

इंग्लैंड से पहुंचे, वैज्ञानिक साफ पानी के शेर कहे जाने वाले गोल्डन महाशीर मछली की तलाश में

  कटघोरा हसदेव नदी के बांगो डूबान क्षेत्र में साफ पानी का शेर कहे जाने वाले महाशीर मछली की तलाश उसके संरक्षण और संवर्धन के लिए इंग्लैंड से वैज्ञानिक पहुंचे हैं. वैज्ञानिक बांगो डूबान क्षेत्र के बुका, गोल्डन आइलैंड और उसके आसपास क्षेत्र में पानी में महाशीर मछली की तलाश कर रहे हैं. ताकि इसके संरक्षण की दिशा पर पहल की जा सके.

हसदेव बांगो डूबान क्षेत्र गोल्डन महाशीर मछली जिसे साफ पानी का शेर कहा जाता है उसकी मौजूदगी पूर्व में पाई गई है. देशभर में इस मछली की प्रजाति को बचाने की दिशा पर लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसी कड़ी में इंग्लैंड से वैज्ञानिक डॉ. मार्क एवरार्ड दो दिवसीय प्रवास पर पहुंचे हुए हैं.

कटघोरा वन मंडलाधिकारी कुमार निशांत ने बताया कि डॉ मार्क एवरार्ड बांगो डूबान क्षेत्र के मछुआरों से गोल्डन महाशीर मछली के बारे में चर्चा कर डूबान क्षेत्र में सर्वे का काम कर रहे हैं. ताकि गोल्डन महाशीर के संरक्षण की दिशा में सार्थक प्रयास किया जा सके. इसे भारतीय नदियों का शेर भी कहा जाता है. जिसका वैज्ञानिक नाम टोर पुति टोरा है और इस मछली का वजन अधिकतम 50 किलोग्राम तक होता है. इस मछली को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने हाल ही में लुप्तप्राय स्थिति का दर्जा दिया है.

महाशीर भारत, पाकिस्तान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और थाईलैंड में पाई जाती है. सात विभिन्न पाई जाने वाली प्रजातियों में प्यूटी टोर और गोल्डन महाशीर सबसे अधिक पसंद की जाती है. क्योंकि यह प्रजाति मुख्य मार्तस्यकी का पूरे हिमालयी क्षेत्र में उत्तम साधन है. इस प्रजाति को ग्रेहाऊंड या थिक लिपड महाशीर भी कहा जाता है और 50 से 60 किलो ग्राम का अधिकतम वजन होता है.

 

Leave Your Comment

Click to reload image