ठाकुर जी की पुजा और भोग लगते समय रखे इन बातो का ख्याल...
धर्मों में अपने- अपने नियम के अनुसार पूजा-पाठ किया जाता है जो उनको मन की शांति और सुकून देता है। पूजा पाठ सभी को पूरे नियम से करना चाहिए। हिन्दू धर्म के सभी घरों में ठाकुर जी को भोग लगाया जाता है। लेकिन हर पूजा-पाठ, तिलक लगाने, मन्त्रों का उच्चारण करने तक के नियम होते हैं।
ऐसे में आप भोग लगाते समय एक गलती सभी करते हैं। ज्यादातर महिलाएं अपने ठाकुर जी को भोग लगा कर ये तर्क देते हुए कि “इतनी जल्दी हम नहीं खा पाते, तो मेरे ठाकुर जी कैसे खा लेंगे” और भोग की थाली वही ठाकुर जी के आगे ही छोड़ देती हैं। जो कि एक गलत तरीका है।
भगवान की पूजा से लेकर भोग लगाने तक कुछ नियम है जिसके पालन से भगवान प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूरी करते है। लेकिन अगर कहीं कुछ गलती होती है तो भगवान नाराज भी हो जाते है। इसलिए पूजा से लेकर भोग तक नियमो का पालन करना चाहिए। तो आज हम भगवान को भोग अर्पित किए जाने के नियम बताने जा रहे है।
इन्हीं बर्तन में चढ़ाएं प्रसाद
प्रसाद चढ़ाते हुए ध्यान रखे कि प्रसाद कभी भी जमीन पर ना चढ़ाएं। सोना, चांदी, पीतल, या मिट्टी के बर्तन में प्रसाद चढ़ाना शुभ फल देता है क्योंकि इन्हें सनातन धर्म मे शुभ माना जाता है, या आप केले और आम के पते पर भी भोग लगा सकते है।
कभी भगवान के पास न छोडें चढ़ाया हुआ भोग
अगर आप भगवान को भोग लगाने के बाद भोग को वही छोड़ देती है, तो इसका नकरात्मक प्रभाव पड़ता है। पूजा पूरी होने के बाद भोग को तुरंत ही वहां से उठा लेना चाहिए। लेकिन कुछ लोग भोग लगाने के बाद प्रसाद वही छोड़ देते है जो कि शुभ नहीं होता है। इससे भगवान नाराज हो जाते है और मान्यता यह भी है कि यदि आप प्रसाद वही छोड़ देते है तो इससे विश्वक्सेन, चण्डेश्वर, चण्डांशु और चांडाली जैसी बुरी शक्तियां आकर्षित हो सकती है।
प्रसाद को दूसरों में बांटे
भोग लगाने के बाद प्रसाद को अपने परिवार और अन्य लोगों को बांटना चाहिए, जिससे भगवान भी प्रसन्न होते हैं और उनका आर्शीवाद हमेशा सब पर बना रहता है क्योंकि तुरंत प्रसाद ग्रहण करने से आप उनके प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।