सामान्य ज्ञान

कांग्रेस को मालूम था कि वह चुनाव हारेगी

कांग्रेस के बुरे दिन चल रहे हैं।हर लेबल का चुनाव हार रही है और हारती जा रही है। इसके लिए वह खुद दोषी है लेकिन वह मानती नहींं है।लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव हारी तो उसने अपनी हार को सहज स्वीकार नहीं किया। इसके लिए वही आरोप लगाए जो हर चुनाव हारने पर वह लगाती आई है। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव नहीं कराए, चुनाव आयोग ने कांग्रेस को हराने के लिए गडबड़ी की। कांग्रेस मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काट दिए गए।भाजपा के मतदाताओं के नाम जोड़े गए।यानी कांग्रेस ने हमेशा की तरह कहा कि वह चुनाव हारी नहीं है, उसे चुनाव में साजिश कर हराया गया है। राज्य में रायपुर विधानसभा की एक सीट के लिए उपचुनाव हुआ तो वह शुरू में जीतने का दावा करती रही लेकिन चुनाव हार गई।इस हार के लिए भी कई तरह के बहाने बनाए गए।

इसके बाद हुए नगरीय निकाय चुनाव में भी कांग्रेस ने हमेशा की तरह जीत के बढ़ चढ़ कर दावे किया,हुआ क्या दस नगर निगम चुनाव हुए तो उसमें एक निगम तक नहीं जीत पाई यानी वह दस के दस निगम में सत्ता में थी, उसने अच्छा काम नहीं किया, अच्छे प्रत्याशी खड़े नहीं किए,बागी प्रत्याशियों को मना नहीं सकी और दस के दस निगम में वह बुरी तरह हार गई। आदत के मुताबिक हार को स्वीकारा नहीं और हमेशा की तरह कहा कि भाजपा ने प्रशासन व सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग चुनाव जीता है।यह चुनाव दलों के चुनाव चिन्हों पर लड़ा गया था और जनता ने कांग्रेस को नकार दिया।

 
 

इसके बाद हुए जिला पंचायत चुनाव में शुरू में कांग्रेस ने अपनी जीत के बड़े बड़े दावे किये और साथ में यह भी कहा था कि कांग्रेस के जीते हुए लोगों को भाजपा लालच दे रही है, उन पर दबाव डाल रही है कि वह जिला पंचायत व जनपद पंचायत में बहुमत न होने के बाद भी अपना अध्यक्ष बनाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है, अधिकारियों के जरिए चुने गए सदस्यों पर दबाव डाला जा रहा है कि भाजपा समर्थित अध्यक्ष को जिताएं। इसे मालूम था कि वह जिला पंचायत व जनपद पंचायत अध्यक्ष चुनाव भी नगरीय चुनाव की तरह हार रही है क्योंकि कांग्रेस के नेताओं ने नगरीय निकाय व जिला पंचायत व जनपद पंचायत में पांच साल कोई काम नहीं करा सकी. नेताओं ने ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार किया और उसी वजह जिस तरह जनता ने विधानसभा चुनाव में उनको नकारा उसी तरह नगरीय व पंचायत चुनाव में भी जनता ने नकारा है।

 
 

कांग्रेस को जनता ने एक बार नहीं कई बार नकारा है लेकिन वह जनादेश का सम्मान नहीं करती है, वह मानती नही है कि जनता भाजपा के साथ है क्योंकि वह अच्छा काम कर रही है।भाजपा नेता भी कांग्रेस की तरह सत्ता मिलते ही अपनी जेब भरने लग जाते तो वह विधानसभा के बाद नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में हारते लेकिन भाजपा निरतंर जीत रही है, इससे साफ हो जाता है कि भाजपा सरकार के बारे में कांग्रेस कितना भी झूठ बोले जनता उसकी बात पर विश्वास नहीं करती है।यही वजह है कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा है।

 
 

जिला व जनपद पंचायत चुनाव में आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में अब तक हुए १८ जिला पंचायत के हो चुके चुनाव में सभी जगह भाजपा के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष जीते हैं।जनपद पंचायतों में अब तक हुए १०९ जपं में से ९८ जनपदों में भाजपा के अध्यक्ष जीते हैं, वहीं सौ उपाध्यक्ष जीते हैं। कुल ३३ जिला पंचायत हैं, जिसमे से अभी १५ में चुनाव होने हैं।कुल जनपद पंचायत १४६ हैं, उसमें कांग्रेस कुछ जगह जीत भी जाती है तो ज्यादा जगह भाजपा ही जीतेगी क्योंकि कांग्रेस के पास बहुमत नहीं है, वह बहुमत जुगाड़ भी नहीं पा रही है क्योंकि चुनाव जीतने वाले विपक्ष के साथ नहीं जाते हैं, वह सत्ता पक्ष के पास जाते है। इसलिए जितनी आसानी से भाजपा बहुमत जुगाड़ कर पाती है, कांग्रेस नहीं कर पाती है।

हारने के बाद कांग्रेस नेताओं को दिल्ली में भी तो जवाब देना है कि विधानसभा बुरी तरह हारे लेकिन नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव क्यों बुरी तरह हारे, इसलिए कांग्रेस नेता व विधायक विधानसभा में भी अपनी हार स्वीकारने की जगह हल्ला कर रहे हैं वही आरोप लगा रहे हैं जो बाहर लगा रहे हैं। यह तो कह नहीं सकते कि हर चुनाव जनता ने हराया है। जनता हमें सत्ता के लायक नहीं समझ रही है क्योंकि सत्ता का उन्होंने जमकर दुरुपयोग किया है। चुनाव जीतना राजनीतिक दल की जिम्मेदारी होती है,वह चुनाव नहीं जीत पा रही है तो कमी खामी उसमें है। उनको स्वीकार करना चाहिए कि हम इस कारण या इन कारणों से चुनाव नहीं जीत पा रहे हैं। कांग्रेस को चुनाव जिताना भाजपा की जिम्मेदारी थोड़ी न है। हर चुनाव में कांग्रेस को जिताना तो कांग्रेस नेताओं की जिम्मेदारी है।

 
 

भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग किया है, कोई अपराध किया है तो कांग्रेस को सबूत जुटाकर अदालत जाना चाहिए। साबित करना चाहिए कि भाजपा ने चुनाव में इस तरह धांधली की है और चुनाव जीता है। कांग्रेस के पास भाजपा के खिलाफ गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं है, इसलिए वह महज आरोप लगा रही है,विधानसभा मेंं हल्ला कर रही है।कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने १८ जिला पंचायत में जीत का दावा किया था लेकिन जीत नहीं पाए क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं था,वह तो १६जिला पंचायतों में चुनाव के लिए पर्यवेक्षक तक तय नहीं कर पाए थे और दावा कर रहे थे जीत का। पर्यवेक्षक तय नहीं कर पाने का क्या मतलब होता है,इसका मतलब तो यही निकाला जाता है कि कांग्रेस ने तो पहले ही मैदान छोड़ दिया था।

 
 

भाजपा अपने संगठन व अपने प्रबंधन के बूते जिला पंचायत चुनाव में अपना दबदबा बनाने में सफल हुई है वहीं कांग्रेस यहीं पर चूक गई। दुर्ग तो कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और राष्ट्रीय महासचिव भूपेश बघेल का क्षेत्र है।यहां तो कांग्रेस को जीतकर साबित करना था कि उसके सबसे बड़े नेता अपने इलाके में इतना प्रभाव है कि वह एक जगह तो अध्यक्ष जिता सकते हैं।भाजपा ने यहां से अध्यक्ष पद के लिए सरस्वती बंजारे को उतारा था और कांग्रेस की तरफ से उषा सोनवानी को प्रत्याशी बनाया गया था।कांग्रेस का यहां संगठन व प्रबंधन ऐसा था कि उषा सोनवानी अचानक लापता हो गई और वह वह न चुनाव के लिए फार्म भर पाई और न ही वोट देने पहुंची।

 इससे कांग्रेस की तो फजीहत हुई ही भूपेश बघेल भी फजीहत हुई है कि वह अपने इलाके में भी कांग्रेस को जिता नहीं पाए। विधानसभा में कांग्रेस आरोप लगा रही है कि कांग्रेस जिला पंचायत सदस्य का अपहरण कराया गया। ऐसा आरोप लगाकर कांग्रेेस नेता खुद काे हंसी का पात्र बना रहे हैं क्योंकि कांग्रेस प्रत्याशी गायब न हो इसकी जिम्मेदारी भाजपा की थोड़ी न हो। अपने प्रत्याशी को गायब न होने देना तो कांग्रेस की जिम्मेदारी है। अपने प्रत्याशी की सुरक्षा व्यवस्था कांग्रेस को करनी थी। वह नहीं कर पाई तो यह कांग्रेस की कमजोरी है। दुर्ग में कांग्रेस की हार पर कुछ लोग यह भी कह रहे थे कि जो कांग्रेस को विधानसभा,लोकसभा,उपचुनाव,नगरीय निकाय व जिला पंचायत का चुनाव नहीं जिता पाया उसे पंजाब का प्रभारी पता नहीं क्या सोच कर बनाया गया है। 

 

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