हर विधानसभा या लोकसभा चुनाव के बाद कोई न कोई सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता है कि चुनाव में उपयोग की जाने वाली ईवीएम में गड़ब़ड़ी हो रही है।इससे गड़बड़ी करने वाला जीत जाता है और गड़बड़ी न करने वाला हार जाता है। यानी निष्पक्ष चुनाव नहीं हो रहे है। ईवीएम के रहते अब निष्पक्ष चुनाव हो ही नहीं सकते,इसलिए ईवीएम की जगह मतपत्र से चुनाव कराया जाना चाहिए। महाराष्ट्र चुनाव में एमवीए की हार नहीं बुरी हार हुई है।इसलिए वह स्वीकार नहीं कर पा रही है कि भाजपा की महाविजय कैसे हो सकती है और हमारी महापराजय कैसे हो सकती है।चुनाव में किसी की महाविजय होती है तो स्वाभाविक है कि महापराजय भी तो होती है।
भाजपा जानती है कि महाविजय के लिए बहुत ज्यादा मेहनत भी करनी पड़ती है, अपनी मेहनत के कारण ही भाजपा महाराष्ट्र ही नहीं कई राज्यों में रिकार्ड सीटें जीत चुकी हैं। कई राज्यों में तीसरी बार सरकार बना चुकी है, कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दल मेहनत न करने के कारण एक राज्य में चुनाव जीत नहीं पाते हैं तो उनको यकीन नहीं होता है कि कोई इतनी ज्यादा सीटें भी जीत सकता है।कई बार चुनाव परिणाम चमत्कार जैसे होते हैं, जैसे हरियाणा का, जैसे मप्र का,जैसे छत्तीसगढ़ का कांग्रेस मेहनत करने की जगह मानकर चल रही थी कि यहां की जनता भाजपा नाराज है, भाजपा को हराएगी लेकिन भाजपा ने तीनों राज्यों में जीतकर कांग्रेस को हैरान परेशान कर दिया।
भाजपा ऐसा कर सकती है, इसलिए वह ऐसा कई राज्यों में कर चुकी है और महाराष्ट्र में भी कर दिखाया है।कांग्रेस हार को सहज रूप से स्वीकार करने की जगह हार के लिए बहाने बना रही है। ईवीएम को दोष दे रही है।मतपत्र से चुनाव कराने की मांग कर रही है, जैसे मतपत्र से चुनाव कराने पर कोई गड़बड़ी नहीं होगी। जिन लोगों ने मतपत्र वाले चुनाव देखें हैं उनको ईवीएम से चुनाव बहुत अच्छा लगेगा। क्योंकि इसमें मतपत्र से चुनाव में जिस तरह की गड़बड़ी होती है, वैसी गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। कोई बूथ नहीं लूट सकता, कोई बहुत सारे वोट एक साथ डाल नहीं सकता, कोई किसी को वोट देने से रोक नहीं सकता। चुनाव में खूब हिंसा होती थी, लोग डर के मारे वोट डालने नहीं जा पाते थे।
यही वजह है महाराष्ट्र चुनाव के बाद कोई पाल सुप्रीम कोर्ट याचिका लेकर पहुंचा कि ईवीएम से होनेे वाले चुनाव में गड़बड़ी हो रही है, इसलिए मतपत्र के चुनाव कराया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका खारिज कर दी और कहा कि जब भी कोई चुनाव हारता है तो ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाता है। वही चुनाव जीत जाता है तो ईवीएम ठीक हो जाती है, उसके बार में कुछ नहीं कहा जाता है।कांग्रेस इसका उदाहरण है, वह कर्नाटक,हिमाचल व तेलंगाना में चुनाव जीतती है तो ईवीएम के बारे में कुछ नहीं कहती है लेकिन हरियाणा व महाराष्ट्र में चुनाव हारने पर ईवीएम मेें छेड़छाड़ का आरोप लगाती है। ऐसा करके वह खुद को एक्सपोज करती है कि वह गलत कह रही है।
यदि ईवीएम में छेड़छाड़ संभव होता तो कांग्रेस चार व नौ का चुनाव जीतने के बाद १४ का चुनाव कैसे हार जाती।यदि ईवीएम में छेड़छाड़ संभव होता तो कई राज्यों में भाजपा हारी है तो कैसे हार गई है। दूसरे दल जीते हैं तो कैसे जीते हैं।भाजपा महाराष्ट्र जीती है तो झारखंड हारती भी है। झारखंड में ईवीएम में कोई गड़बड़ी की बात नहीं कर रहा है लेकिन महाराष्ट्र में हारने वाले ईवीएम में छेड़छाड़ की बात कर रहे हैं। ईवीएम से चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं। यह तो कंप्यूटर एज से वाले कलम वाले युग में लौटने की बात करने जैसा है, इसे आज कोई कैसे पसंद कर सकता है।
कांग्रेस समय की धारा के विपरीत चलने की बात कर रही है, उसकी बात कोई सुनेगा नहीं,मानेगा नहीं क्योंकि सब चाहते हैं काम कम से कम समय में हो। विदेशी तारीफ करते है कि भारत में एक दिन ६४करोड़ वोटों की गिनती हो जाती है। पहले इस काम में कई दिन लगते थे, इसमें तरह तरह की गड़बड़ी होने की गुंजाइश होती थी, अब ईवीएम के आने के बाद एक दिन में मतगणना हो जाती है और उसी दिन रिजल्ट भी आ जाता है।
हकीकत यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी में चुनाव जिताने की क्षमता है नहीं, वह मोदी के खिलाफ बातें तो बड़ी बड़ी करते हैं लेकिन जब चुनाव में मोदी से आमना सामना होता है तो राहुल गांधी मोदी से हार जाते हैं। राहुल गांधी मोदी से हार गए यह स्वीकारना कांग्रेस के लिए बहुत शर्म की बात है, इसलिए राहुल को हारा हुआ नहीं गड़बड़ी कर हराए गए नेता के रूप में पेश करने की कोशिश तो करते हैं। अभी कांग्रेसी राहुल गांधी को हार को मत स्वीकार करें, लेकिन इतिहास में तो राहुल गांधी को कांग्रेस का सबसे असफल नेता लिखा जाएगा जो एक नहीं लगातार तीन तीन चुनाव में पार्टी को जिता नहीं सके थे। राहुल गांधी के हार को स्वीकार नहीं करने से मोदी का कद कहीं से छोटा नहीं होता है, कोई नहीं कहता है कि मोदी चुनाव हार गए हैं। सब तो यही कहते हैं कि मोदी चुनाव जीतने वाले नेता है ,एक नहीं तीन बार लगातार चुनाव जीतने वाले नेता हैं।