शिक्षा
मैट्स विश्वविद्यालय ने छात्रों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए वेब स्क्रैपिंग पर कार्यशाला का आयोजन किया
मैट्स विश्वविद्यालय ने छात्रों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए वेब स्क्रैपिंग पर कार्यशाला का आयोजन किया
शिक्षा के अधिकार का फायदा होना चाहिए, नुकसान नहीं
लोकतंत्र में जनता को हर तरह का अधिकार होना ही चाहिए।इससे कोई इंकार कर ही नहीं सकता। जब भी जनता को कोई अधिकार दिया जाता है तो यह सोचकर दिया जाता है कि उसका फायदा ही होगा। अगर उससे पांच दस साल में पता चलता है कि इससे नुकसान हो रहा है तो इसका मतलब है कि जब अधिकार देने के विषय में सोचा गया था तो सभी पहलुओं पर सोचा नहीं गया था। सोचा गया होता तो होने वाले नुकसान के विषय में सोचा गया होता, उसे गंभीरता से लिया गया होता और ऐसी व्यवस्था की गई होती कि शिक्षा के अधिकार से जो नुकसान पिछले एक दो दशक में देश के बच्चों का हुआ है, वह नहीं हुआ होता।
शिक्षा का अधिकार का कानून देश में कांग्रेस सरकार के समय बनाया गया और २०१० में लागू हुआ।इसके तहत देश के बच्चों के लिए अनिवार्य व निशुल्क शिक्षा का व्यवस्था की गई थी यानी पहली से आठवीं तक सबको अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा देने की व्यवस्था की गई थी।देखने में तो यह कांग्रेस सरकार की बड़ी उपलब्धि है, कांग्रेस नेता इसे अपनी उपलब्धियों में गिनाते भी है। इसका मकसद निश्चित रूप से देश में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शिक्षा देना रहा होगा, स्कूलों में बच्चों की संख्या भी बढ़ी होगी, शिक्षा के अधिकार में एक खामी रह गई कि इसमें बच्चों को फेल नहीं करना था। यानी पहली में भर्ती हुआ बच्चा आठवीं तक बिना फेल हुए पहुंच जाता है लेकिन अब पता चल रहा है कि उसे न तो हिंदी ठीक से लिखना आता है नहीं गणित के सरल सवाल वह कर सकता है। शिक्षा का अधिकार लागू होने के बाद के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में आठवीं पास बच्चों की संख्या बहुत बढ़ी है लेकिन उनकी शिक्षा का स्तर पहली,दूसरी के बच्चे के समान भी नहीं है।
शिक्षा के अधिकार कानून के कारण शिक्षक बच्चों को फेल नहीं कर सकते थे, बच्चों को मालूम था कि वह फेल नहीं किए जाएंगे तो वह ठीक से पढ़ते नहीं थे,शिक्षक भी बच्चों की शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं रहे। उनको भी पता था कि बच्चा को जब पास ही होना है तो उसे पढ़ाने का क्या मतलब है, बच्चा पास होते जाता है तो माता पिता को भी मतलब नहीं रहता है कि बच्चे को क्या आता है, क्या नहीं आता है। पिछले एक दशक में करोडो रुपए बच्चों की शिक्षा में खर्च हुए लेकिन बच्चों को उसका कोई खास फायदा नहीं हुआ।खासकर गांवों के बच्चों को।
केंद्र में २०१४ में सरकार बदली और मोदी सरकार आई तो आरटीई के तहत फेल न करने की नीति से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होने का पता चला।इस नीति पर विचार करने के लिए मोदी सरकार ने २०१५ में एक उपसमिति बनाई।२०१८ में इस पर एक रिपोर्ट आई जिसमें २३ राज्यों से सुझाव लिए गए थे।मात्र पांच राज्यों ने फेल न करने की नीति का समर्थन किया था।आठ राज्यों ने वापस लेने की बात कही थी।छत्तीसगढ़ समेत १२ राज्य फेल न करने की नीति में संशोधन करने के पक्ष में थे।संशोधन २०१९ में लागू हुआ।इसमें राज्यों को शिक्षा नीति में बदलाव का अधिकार दिया गया।राज्यो में हरियाणा,दिल्ली व महाराष्ट्र ने अपनी शिक्षा नीति में संशोधन कर फेल नहीं करने की नीति को बदला। पांचवीं व आठवीं की वार्षिक परीक्षा में पास होना जरूरी किया गया।
छत्तीसगढ़ १८ से नंवबर २३ तक भूपेश बघेल की सरकार थी,उसने शिक्षा नीति में बदलाव करने कोई ध्यान नहीं दिया। उसने अंग्रेजी शिक्षा को बेहतर करने की ओर जरूर ध्यान दिया।बताया जाता है कि साल २०२१ में ही स्कूल शिक्षा विभाग ने आंतरिक सर्वेक्षण करवाया था जिसमें पता चला था कि चौथी कक्षा के बच्चों का ज्ञान पहली के बच्चे जैसा और आठवीं के बच्चे का ज्ञान चौथी कक्षा के बच्चे का है। शिक्षा का बेस कमजोर होने के कारण ही ९वीं से १२ तक का रिजल्ट भी खराब आ रहा है। साय सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता के लिए आरटीई में बदलाव के निर्देश दिए हैं,अब राज्य में आठवीं तक पास करने का नियम बदलेगा, पांचवी व आठवीं की सीजी बोर्ड परीक्षा होगी।
शिक्षा व्यवस्था में जब तक बच्चों व शिक्षकों की मानिटरिंग नहीं होगी, यह पता लगाना मुश्किल होता है कि बच्चे का शिक्षा स्तर क्या है और शिक्षक ने उसके पीछे कितनी मेहनत की है।पहले ऐसा करना आसान नहीं था पर अब तकनीक के चलते ऐसा करना संभव हो सकता है।अब छत्तीसगढ़ के हर बच्चे पर नजर रखने के लिए व्यवस्था की जा रही है।राजधानी रायपुर में विद्या समीक्षा केंद्र स्थापित किया गया है।स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को इससे बेहतर बनाया जा सकता है।एप के जरिए शिक्षा की बेहतरी के लिए बनाई गई योजनाओं की मानिटरिंग हो सकेगी। एक एक बच्चें के प्रदर्शन पर नजर रखना संभव होगा। विद्यार्थियों के अकादमिक आकलन एआई की मदद से किया जा सकेगा। इससे जहां सुधार की जरूरत है,जैसे सुधार की जरूरत है वैसा किया जा सकेगा।अब सीएम साय के समय मेें राज्य में बच्चों को शिक्षा का अधिकार तो होगा ही लेकिन इस बात का खास ख्याल रखा जाएगा कि इससे फायदा हो कोई नुकसान न हो। एक सरकार की यही तो जिम्मेदारी होती है कि जनता को जो अधिकार मिले हैं, उसका उसे पूरा फायदा मिले।
मैट्स यूनिवर्सिटी में ओरिएंटेशन प्रोग्राम का आयोजन
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मैट्स विश्वविद्यालय में सप्तदिवसीय दीक्षाआरम्भ कार्यक्रम का आयोजन की शुरुआत
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तीन दिवसीय ओरिएंटेशन प्रोग्राम का आयोजन
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मैट्स विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस सम्पन्न छात्रों द्वारा भाषण, कविता व पोस्टर कला का प्रदर्शन
मैट्स विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पुस्तकालयाध्यक्ष दिवस सम्पन्न छात्रों द्वारा भाषण, कविता व पोस्टर कला का प्रदर्शन
तीन दिवसीय ओरिएंटेशन प्रोग्राम का आयोजन
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नई शिक्षा नीति के अनुरूप स्कूली पाठ्यक्रम में किया जा रहा है बदलाव
स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तक लेखन उन्मुखीकरण कार्यशाला प्रारंभ
रायपुर । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ के स्कूलों में नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यपुस्तकों में बदलाव लाने के लिए राज्य स्तरीय पाठ्य पुस्तक लेखन उन्मुखीकरण कार्यशाला आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में अगले वर्ष से राज्य की कक्षा पहली से तीसरी और छठवीं की पाठ्य पुस्तकें बदलने की योजना है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद द्वारा स्थानीय न्यू सर्किट हाउस में दो दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ हुई।
पुस्तक लेखन उन्मुखीकरण कार्यशाला में स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने कहा कि फाउंडेशनल स्टेज के विद्यार्थियों को उनकी स्थानीय भाषा में पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पाठ्य पुस्तकों में प्रैक्टिकल अप्रोच का समावेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी के मार्गदर्शन का उपयोग कर इन्हें और बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। परदेशी ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य वर्तमान में 20 भाषाओं में काम कर रहा है और पाठ्य पुस्तकों को स्थानीयता को ध्यान में रखते हुए रचनात्मक और आकर्षक बनाया जाए।
एनसीईआरटी नई दिल्ली की पाठ्यचर्या के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रंजना अरोरा ने वर्चुअल संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ पहला राज्य है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए एनसीईआरटी के साथ मिलकर राज्य के स्कूलों के लिए पाठ्यपुस्तक निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ की है। एनसीईआरटी व एससीईआरटी आपसी समन्वय से बहुत बड़ा और अच्छा कार्य करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम को बनाते समय एससीईआरटी के विशेषज्ञ राज्य के स्थानीय भाषा और विशेषताओं को शामिल करेंगे।
एससीईआरटी के डायरेक्टर राजेंद्र कुमार कटारा ने कहा कि पाठ्य पुस्तकों को इस प्रकार बनाया जाना चाहिए कि वे लंबे समय तक प्रासंगिक रहें। कार्यक्रम को जागेश्वर यादव सम्बोधित करते हुए कहा कि पाठ्यपुस्तक लेखन में मातृभाषा को विशेष स्थान देना चाहिए, प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होने से बच्चे इसे आसानी से समझ व सीख सकेंगे। प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होने से अपने मातृभाषा से जुड़े रहेंगे। आरआईई अजमेर की प्राध्यापक डॉ. के. वी. श्रीदेवी, एनसीईआरटी नई दिल्ली की भाषा शिक्षा विभाग की प्रोफेसर कीर्ति कपूर एवं डॉ. नीलकंठ कुमार, कला और सौंदर्य विभाग की प्राध्यापक डॉ. शर्बरी बनर्जी ने विभिन्न सत्रों में अपने विचार व्यक्त करते हुए आवश्यक सुझाव दिए। एससीईआरटी के अतिरिक्त संचालक जे.पी. रथ अपने स्वागत उद्बोधन में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक ऐतिहासिक परिचय देते हुए अपनी बात रखी। कार्यशाला में एनसीईआरटी एवं एससीईआरटी के विषय विशेषज्ञ सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए शिक्षाविद् शामिल थे।
सपनों से दूर करती यह कैसी पढ़ाई
सपनों से दूर करती यह कैसी पढ़ाई.......
- अतुल मलिकराम (लेखक एवं राजनीतिक रणनीतिकार)
बच्चों ने सीएम साय को पोस्टर के माध्यम से दी ‘पालक-शिक्षक मीटिंग’ एजेंडा की जानकारी
रायपुर। मेगा पालक शिक्षक बैठक में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को स्कूली बच्चों ने पोस्टर के माध्यम से पालक शिक्षक मीटिंग के उद्देश्य और गतिविधियों की रूपरेखा और इससे छात्रों को होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से बताया। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा विभाग द्वारा 13 बिंदु पालक शिक्षक मीटिंग के लिए निर्धारित किए गए हैं, अलग अलग बच्चों ने इन बिंदुओं के बारे में बताया।
मुख्यमंत्री साय ने सभी गतिविधियों के बारे में जानकारी ली और बच्चों से इन सभी का अच्छे से लाभ उठाने के लिए कहा। उन्होंने बच्चों से उनके करियर प्लान भी पूछे और खूब मेहनत कर अपने सपनों को पूरा करने की सीख दी। उन्होंने कहा जीवन में श्रेष्ठता हासिल करने का एक मात्र माध्यम शिक्षा है। आप करियर में जिस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते उसके लिए लगन और मेहनत से पढ़िए जिससे आप अपना उज्ज्वल भविष्य गढ़ सकें। इस दौरान मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय और स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी भी इस दौरान साथ रहे।
पालक शिक्षक संवाद में पालकों को बच्चों के लिए यथासंभव घर में पढ़ाई के लिए मेरा कोना-स्टडी कॉर्नर के रूप में एक निश्चित स्थान तय करने की बात बताई गई। इसी प्रकार छात्रों के लिए एक आदर्श दिनचर्या कैसी हो इसकी जानकारी दी गई।बच्चों ने आज क्या सीखा के तहत पालकों की सहभागिता बढ़ाने के साथ उनकी प्रोग्रेस मॉनिटर करने में सहायता मिलेगी। ‘‘बच्चा बोलेगा बेझिझक’’ से बच्चों के अंदर स्टेज में बोलने के भय को दूर करना और पब्लिक स्पीकिंग और लीडरशिप क्वालिटी बढ़ाने पर काम होगा। बच्चों की अकादमिक प्रगति एवम परीक्षा पर चर्चा का उद्देश्य पालकों और छात्रों को परीक्षा के दौरान होने वाले तनाव को दूर करना और अच्छे अंक लाने के लिए प्रोत्साहित करना है। पुस्तक की उपलब्धता सुनिश्चित करना, बस्ता रहित शनिवार के अंतर्गत अन्य ज्ञानवर्धक गतिविधियों से छात्रों को जोड़ना, विद्यार्थियों के आयु/कक्षा अनुरूप स्वास्थ्य परीक्षण एवम पोषण की जानकारी देना, न्योता भोज के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना, विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से शिक्षा हेतु पालकों एवम छात्रों को अवगत कराना, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं/ छात्रवृत्ति एवम विभागीय योजनाओं की जानकारी प्रदान करने के साथ जाति/आय/निवास प्रमाण पत्र निर्माण और नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
सीएम साय पालक-शिक्षक सम्मेलन में हुए शामिल
रायपुर । मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मंगलवार को जशपुर जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बंदरचुआँ में संकुल स्तरीय पालक-शिक्षक सम्मेलन में शामिल हुए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर शिक्षकों से चर्चा की।
बैठक में बंदरचुआं स्कूल के शिक्षक, बच्चे और पलकों से मुख्यमंत्री साय ने विस्तृत चर्चा की। इस दौरान उनके साथ उनकी धर्मपत्नी कौशल्या साय भी मौजूद रही। स्कूल में बच्चों ने प्रदर्शनी लगाई थी जिसका अवलोकन मुख्यमंत्री ने किया। बच्चों ने शिक्षा डिजिटल एप्प के संदर्भ में मुख्यमंत्री साय को विस्तृत जानकारी दी।
बच्चों से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने बच्चों को अच्छी पढ़ाई के साथ खेल और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में भी शामिल होने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने अभिभावकों से बच्चों के शैक्षणिक विकास और स्कूलों के माध्यम से मिल रही शिक्षा की गतिविधियों के साथ ही ग्राम के विकास की बात करते हुए बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
लीनेस क्लब द्वारा उत्कृष्ट कार्य
लीनेस क्लब रायपुर की लीनेस बहनों ने प्रज्ञा मूक-बधिर स्कूल (डी.डी.यू.रायपुर) के बच्चों के हौसले को जगाने हेतु उत्कृष्ट कार्यक्रम का आयोजन किया, जिस कार्यक्रम में वहां के बच्चों का नि:शुल्क आई चेक-अप अरविन्दों नेत्र चिकित्सालय के द्वारा किया गया, जिसमें 61 बच्चे लाभान्वित हुए। उनके उड़ान को लक्ष्योन्मुख करने रिटायर्ड एडिशनल कमिश्नर डॉ जे.के.डागा जी ने कहा कि "समस्या पर ध्यान न दें समाधान पर ध्यान दें,यदि समस्या पर ध्यान देंगे तो समस्या बनी रहेगी उन्होंने बच्चों से कहा कि आप सभी को दिव्य अंग प्राप्त हैं स्वयं को पहचाना है।
NEET का 4 जून को रिजल्ट आने के बाद से पेपर लीक को लेकर छात्रो का आक्रोश सामने आया था
नई दिल्ली। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-यूजी (NEET UG) 2024 एग्जाम को लेकर दायर हुई याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ द्वारा मंगलवार को हुई। सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि नीट यूजी परीक्षा दोबारा नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि परीक्षा की पवित्रता का उल्लंघन किया गया था।
चीफ जस्टिस की बेंच ने फैसला सुरक्षित करते हुए कहा कि इन मामलों में इस न्यायालय के समक्ष उठाया जा रहा मुख्य मुद्दा यह है कि इस आधार पर पुनः परीक्षण (Re-Test) आयोजित करने का निर्देश जारी किया जाए कि प्रश्नपत्र लीक हुआ था और परीक्षा के संचालन में प्रणालीगत खामियां थी। नीट यूजी परीक्षा 571 शहरों के 4750 केंद्रों के अलावा 14 विदेशी शहरों में आयोजित की गई थी।
सीजेआई ने आदेश की शुरुआत में मामले के तथ्यों और दोनों पक्षों की व्यापक दलीलें दर्ज कीं। उन्होंने कहा कि 1,08,000 सीटों के लिए 24 लाख छात्र प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया गया है कि 50 प्रतिशत कट ऑफ का प्रतिशत दर्शाता है। परीक्षा में 180 प्रश्न होते हैं, जिनके कुल अंक 720 होते हैं और गलत उत्तर के लिए एक नकारात्मक अंक होता है। यह प्रस्तुत किया गया कि पेपरलीक प्रकृति में प्रणालीगत था और संरचनात्मक कमियों के साथ मिलकर कार्रवाई का एकमात्र स्वीकार्य तरीका री-टेस्ट करना होगा। लेकिन, परीक्षा की पवित्रता भंग होने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं।
क्या है पूरा मामला
NEET का 4 जून को रिजल्ट आने के बाद से पेपर लीक को लेकर छात्रो का आक्रोश सामने आया था। सबसे पहले इस परीक्षा में बिहार में पेपर लीक की खबर ने तूल पकड़ा था। उसके बाद रिजल्ट आने पर परीक्षा में 67 टॉपर और एक ही परीक्षा केंद्र से कई टॉपर आना, एक सवाल के दो उत्तर, ग्रेस मार्क्स जैसे प्वाइंट्स किसी को हजम नहीं हो रहे थे। उसी दौरान नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर भड़के छात्रों ने पूरे देश में रिजल्ट में हेरफेर और पेपरलीक को लेकर प्रदर्शन किया।
परीक्षा में पेपर लीक के संदेह पर देशभर के हाईकोर्ट में दोबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर याचिकाओं का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सभी याचिकाओं को सुनने की कार्यवाही शुरू हुई। इस सुनवाई में बिहार पेपर लीक से लेकर हजारीबाग, सीकर और गोधरा तक के मामलों की जांच, एक सवाल के दो उत्तर, सीबीआई जांच जैसे सभी मुद्दों पर बहस हुई। सर्वोच्च अदालत की बेंच ने सभी पहलुओं पर बहस सुनने के बाद यह तय किया कि इस पर जल्द से जल्द फैसला देना होगा, क्योंकि छात्रों को किसी भी हाल में लटकाकर नहीं रख सकते।
डॉ भारती अग्रवाल को मिला "साहित्य श्री" सम्मान
आदर्श शासकीय शासकीय नवीन प्राथमिक शाला दीनदयाल नगर में गुरु पूर्णिमा उत्सव संपन्न
राजिम I स्थानीय आदर्श शासकीय शासकीय नवीन प्राथमिक शाला दीनदयाल नगर में सोमवार को गुरु पूर्णिमा उत्सव उत्साह के साथ मनाया गया. प्रारंभ में अतिथियों द्वारा मां सरस्वती एवंम महर्षि वेदव्यास की पूजा अर्चना की गई . बाल सभा के प्रमुख श्वेता बया एवं कक्षा पांचवी के कक्षा कप्तान भास्कर सिन्हा ने अतिथियों का गुलाल लगाकर स्वागत किया तथा कक्षा पांचवी के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां की सुंदर प्रस्तुति दी.
गुरु पूर्णिमा हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है
बेमेतरा । गुरु पूर्णिमा हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे गुरु की महिमा और महत्व को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसी क्रम में शा.उच्च.माध्यमिक विद्यालय बावामोहतरा में गुरु पूर्णिमा उत्सव में कलेक्टर रणबीर शर्मा पहुँचे। इस खास मौके पर कलेक्टर ने बच्चों को गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व समझाया। उन्होंने बच्चों को गुरु के प्रति आदर और सम्मान की भावना विकसित करने की प्रेरणा दी और शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया।
कलेक्टर ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि एक अच्छे गुरु का मार्गदर्शन जीवन में सफलता की कुंजी होती है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में कलेक्टर ने स्कूली बच्चों से उनकी पढ़ाई के संबंध में चर्चा की। उन्होंने बच्चों से उनकी शैक्षणिक गतिविधियों, पढ़ाई की समस्याओं और भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछा। कलेक्टर ने बच्चों को पढ़ाई में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए सुझाव दिए और उन्हें प्रेरित किया कि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है और किस प्रकार यह उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव रखती है। कार्यक्रम के दौरान एक बच्ची ने कलेक्टर को एक सुंदर कविता सुनाई। कविता सुनकर कलेक्टर बहुत प्रभावित हुए और बच्ची की प्रशंसा की। उन्होंने बच्ची के आत्मविश्वास और उसकी प्रतिभा की सराहना की। इस अवसर पर कलेक्टर ने बच्चों को कला और साहित्य के प्रति भी जागरूकता और रुचि बनाए रखने की प्रेरणा दी, यह बताते हुए कि शिक्षा के साथ-साथ रचनात्मकता भी बहुत महत्वपूर्ण है। गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु-शिष्य परंपरा को जीवित रखने और उसकी महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करता है। इस अवसर पर अपर कलेक्टर अनिल वाजपेयी, डिप्टी कलेक्टर दिव्या पोटाई, डीईओ कमल बंजारे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार गुरु पूर्णिमा पर राज्य के सभी शासकीय-अशासकीय विद्यालयों में
कोरिया । स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार गुरु पूर्णिमा पर राज्य के सभी शासकीय-अशासकीय विद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश प्राप्त हुए थे। इसी कड़ी में जिले के महलपारा के स्वामी आत्मानंद शासकीय विद्यालय में जिला स्तरीय गुरु पूर्णिमा का आयोजन कलेक्टर विनय कुमार लंगेह की अध्यक्षता में किया गया। इसके अलावा जिले के सभी स्कूलों में भी आयोजन किया गया।
महलपारा के स्वामी आत्मानंद शासकीय विद्यालय में मां सरस्वती के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। भारत स्काउट्स एवं गाइड्स द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। कक्षा पहली के तस्कीन और कक्षा दूसरी के एकाक्षर गौतम ने अतिथियों का तिलक लगाकर और पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया।
कलेक्टर लंगेह ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरू का स्थान सदैव ऊंचा रहा है। समाज, देश और प्रदेश के विकास में गुरुओं का योगदान अतुलनीय था, है और रहेगा। उन्होंने महान संत कबीर दास की प्रसिद्ध दोहा को याद करते हुए कहारू
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने, गोविन्द दियो बताय।।
उन्होंने समझाया कि इस दोहे में बहुत गम्भीर बातें कही गई हैं। गुरू और गोविंद (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए? गुरू को अथवा गोविंद को? ऐसी स्थिति में गुरू के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है, जिनके कृपा रूपी प्रसाद से गोविंद का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने बच्चों से कहा कि हमें सदैव अपने शिक्षकों और गुरुओं का सम्मान करना चाहिए। उनके बताए मार्ग हमारे जीवन में नई रोशनी फैलाने का काम करते हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी जितेंद्र गुप्ता ने बच्चों को गुरु का महत्व बताते हुए कहा कि गुरु दीपक के समान हैं, जो स्वयं जल कर बच्चों के जीवन को प्रकाशित करते हैं। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी है कि हमें सदैव गुरु की वाणी और उनके बताए मार्ग को जीवन में उतारना चाहिए।
प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों ने गुरु वंदना पर नृत्य, माध्यमिक शाला के विद्यार्थियों ने स्वागत गीत और गुरु वंदना प्रस्तुत किया। कक्षा ग्यारहवीं की उन्नति जयसवाल ने गुरु-शिष्य परंपरा पर प्रकाश डालते हुए बहुत प्रेरक भाषण प्रस्तुत किया।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सेवानिवृत्त शिक्षक कलावती यादव, आदित्य नारायण मिश्रा, देवी प्रसाद मिश्रा सहित वर्तमान पदस्थ वरिष्ठ शिक्षक राजेंद्र सिंह, शेर मोहम्मद, और कनिष्ठ शिक्षक अपर्णा गौतम को जिला कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मोमेंटो और उपहार देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर पार्षद ममता गोयन, प्राचार्य अभय कुमार शर्मा, डीएमसी संजय सिंह, एमआईएस विनय मोहन भट्ट, एसएमडीसी के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा सहित बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त शिक्षक- शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।