संस्कृति

महालया का शारदीय नवरात्र से क्या है कनेक्शन? जानें इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

नई दिल्ली। आश्विन माह में शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है, जिसका समापन दशमी तिथि पर मां दुर्गा विसर्जन के साथ होता है। इस दौरान मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस पर्व का प्रारंभ पितृपक्ष के समापन के बाद होता है। महालया को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से विदा लेती हैं। मां दुर्गा के आगमन को महालया (Mahalaya Amavasya 2024) कहा जाता है।

कब है महालया

पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाती है। यह दिन पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है। इसी वजह से महालया भी 02 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। इसके अगले दिन से शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri 2024) शुरू होंगे।

महालया अमावस्या मुहूर्त 2024

कुतुप मूहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से 12 लेकर 34 मिनट तक।

रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से लेकर से 01 बजकर 21 मिनट तक।

अपराह्न काल- दोपहर 01 बजकर 21 से लेकर 03 बजकर 43 मिनट तक।

महालया का शारदीय नवरात्र से संबंध

सनातन धर्म में महालया के पर्व का अधिक महत्व है। इस त्योहार के अगले दिन शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। सर्वपितृ अमावस्या को ही महालया अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शारदीय नवरात्र में महालया देवी का आगमन धरती पर नहीं होता है, तो ऐसे में मां के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना संभव नहीं हो पाती। माना जाता है कि शारदीय नवरात्र में रोजाना विधिपूर्वक मां दुर्गा की उपासना करने से जातक को सभी तरह के दुख और दर्द से छुटकारा मिलता है और सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है।

महालया अमावस्या पर क्या करें

महालया के दिन पितरों को जल अर्पित करना चाहिए।

पितरों का श्राद्ध करना चाहिए।

गरीब लोगों में दान दान करें।

सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।'

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