रोचक तथ्य

शब्दों की मर्यादा छोड़, सबने उगले विष

बीते विधानसभा चुनाव से लेकर वर्तमान लोकसभा चुनाव तक राजनीति के सूरमाओं द्वारा दिए गए वक्तव्य " बिगड़े बोल " के रूप में दर्ज किए जा सकते हैं ! भारतवर्ष में किसी भी स्तर के चुनाव में नेताओं द्वारा एक - दूसरे पर की गई टिप्पणियां केवल एक या दो प्रदेशों तक ही सीमित नहीं है , बल्कि पूरे हिंदुस्तान में चर्चा का विषय बनती रही हैं । " जो पिएगा वो मरेगा " से लेकर " गर्मी शांत कर देंगे " तक नेताओं के बिगड़े बोल सुर्खियां बनकर आम जनता के समक्ष आते रहे हैं । विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार के " जो पिएगा वो मरेगा " के बाद योगी आदित्यनाथ द्वारा कहे गए 10 मार्च के बाद " सारी गर्मी शांत कर देंगे " ने राजनीतिकारों के चरित्र को उजागर किया है । विवादित बयान देने वाले शीर्ष राजनीतिकारो की सूची लंबी है । इसमें उत्तर प्रदेश , बिहार , मध्य प्रदेश , कर्नाटक , असम और दिल्ली के मुख्य मंत्री तक चर्चा में रहे हैं ! इन नेताओं द्वारा कहे गए वचनों के बाद ऐसा प्रतीत होता है मानों शब्दों को भी अपना मुंह छिपाना पड़ रहा हो । नेताओं के ऐसे ही विष भरे वचनों को सुनकर मुझे याद आता है  - " शब्द सम्हालकर बोलिए , शब्द के हाथ न पांव । एक शब्द औषधि करे ,एक शब्द करे घाव ।। " जिसने भी इन पंक्तियों को लिखा है , उसकी सोच युग कालीन कही जा सकती है । लोकसभा चुनाव 2024 में बिगड़े बोलों ने मानों एशियाड , ओलिंपिक और विश्वकप स्पर्धा के बड़े खिलाड़ी होने का सबूत देते हुए अपने शब्दों की मर्यादा को बिसरा दिया है ! कांग्रेस के चरणदास महंत ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर फोड़ने की ताकत रखने वाले को ही खुले मंच से आमंत्रण दे डाला !
बिगड़े बोल की प्रतिस्पर्धा में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने भी अपना चांस खोना उचित नहीं समझा ! उन्होंने अहमदाबाद में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी की बढ़ी हुई दाढ़ी को लेकर उनकी तुलना सद्दाम हुसैन से कर दी ! अरे ! भाई ! बढ़ी दाढ़ी तो हमारे देश के बड़े कवि और लेखक भी रखा करते थे , भला इसमें क्या बुराई है ? बिहार में जहरीली शराब पीने से 82 लोगों की मौत पर वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सारी हदें पार करते हुए मुआवजे की मांग को ठुकराते हुए यहां तक कह डाला कि " मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा " उन्होंने विधानसभा में यह कहने से कोई परहेज नहीं किया कि " जो पिएगा , वो मरेगा " इस वक्तव्य के बाद एक बार फिर शराब बंदी नीति पर बड़ा सवालिया निशान आकर खड़ा हो गया । इसी तरह मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्य के पूर्व मंत्री राजा पटेरिया ने लोगों से संविधान और अल्पसंख्यकों , दलितों एवं आदिवासियों के भविष्य को बचाने की चिंता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की " हत्या " करने के लिए तत्पर रहने वालों का आव्हान कर डाला ! बिगड़े बोल के अलावा देवी - देवताओं के पोस्टर के साथ छेड़छाड़ के मामले भी नेताओं के इशारे पर होते दिख रहे हैं। मां काली के पोस्टर में उन्हें सिगरेट पीते हुए दिखाना भी हम सबके सामने आ चुका है ।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो मर्यादा शब्द को शर्मशार करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना रावण से कर दी।  लोकसभा चुनाव में अपने - अपने वादों - इरादों को गिनाते हुए नेताओं के बोल शोले उगलने लगे हैं ! कहीं - कहीं तो ये ज्वालामुखी की तरह फट रहे हैं ! नेताओ के अपशब्द के चलते शब्दों ने अपना अर्थ को दिया है । अब तो वोट जिहाद जैसे शब्द भी सुनने में आ रहे हैं , जिनकी पहले कोई कल्पना नहीं की गई थी । इन सारे ध्रुवीकरण नामक छोड़े जा रहे हथियार को रोकने चुनाव आयोग भी सामने नहीं आ रहा है ! ध्रुवीकरण करके अपनी जीत पक्की करने के लिए अपराधियों को शहीद बताने की होड़ भी शुरू हो गई है ! अखिलेश यादव  की जनसभा में मुरादाबाद के सपा जिला अध्यक्ष हाजी मोहम्मद उस्मान ने माफिया अतीक अहमद , मुख्तार अंसारी और शहाबुद्दीन को याद करते हुए वोट करने की अपील कर डाली । भड़काऊ भाषण देने पर नेताओं के खिलाफ चुनाव आयोग में लगातार शिकायतें भी की जा रही हैं । एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ भाजपा ने वाराणसी में भड़काऊ भाषण देने की शिकायत दर्ज कराई । दूसरी ओर सपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कई बयानों पर आपत्ति जताते हुए आयोग में शिकायत की । भड़काऊ भाषण के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश और दूसरे नंबर पर बिहार में होने की बात पता चली है ।

कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला ने एक विवादित बयान देते हुए बीजेपी की विचारधारा का समर्थन करने वालों को राक्षसी प्रवृत्ति का बता डाला । नेताओ के बिगड़े बोल का दौर कोई नया नहीं है । 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए " मौत का सौदागर " ,"  चायवाला  " और " चौकीदार चोर है " जैसे विशेषणों का इस्तेमाल किया जा चुका है । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय जहर उगलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह तक कह डाला कि   " मोदी जहरीले सांप की तरह है । आप इसे जहर समझें या न समझें लेकिन अगर आप इसे चखेंगे तो मर जाएंगे ! " नेताओ के बिगड़े बोल तब और ज्यादा सालने वाले लगते हैं जब वे महिलाओं पर छींटाकशी करते हैं । भारतीय राजनीति में ऐसे नेताओं की भी कमी नहीं जिनकी जुबान का निशाना महिलाएं बनी हैं ! समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने एक रैली में कहा था - " लड़के - लड़की में विवाद होने पर लड़की बयान देती है कि लड़के ने मेरा बला... र किया है । इसके बाद लड़के को सजा दे दी जाती है , ये गलत है । लड़कों से गलती हो जाती है ! इसी तरह कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने एक पार्टी कार्यक्रम में जयंती नटराजन को " टंच मा..." तक कह दिया था ।

छत्तीसगढ़ के कोरबा से बीजेपी सांसद बंशीलाल महतो ने राज्य की लड़कियों का ऐसा अपमान किया था जो बर्दास्त करने लायक नहीं माना जा सकता है । उन्होंने खेल मंत्री भैयालाल रजवाड़े का नाम लेते हुए कहा था कि वो अक्सर बोला करते हैं कि अब बालाओं की जरूरत मुंबई और कलकत्ता से नही है, कोरबा की टुरी और छत्तीसगढ़ की लड़कियां भी ट ...हो गई हैं। इसी तरह गुलाम रसूल बलियावी ने कुछ माह पूर्व कहा था कि हमारे आका  ( पैगंबर ) की इज्जत पर किसी ने हाथ डाला तो शहरों को करबला बना देंगे । ऐसे बयान देश में कटुता पैदा करने से कम नहीं माने जा सकते हैं । भरे सदन में जहां हमारी महिला नेत्रियाँ भी बैठी होती हैं , वह भी अमर्यादित टिप्पणियों से नहीं बचा है । कर्नाटक विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष आर रमेश कुमार ने भरे सदन में यह कहकर कि " जब बला... र होना ही है , तो ले .. और म... लो " भारतीय संस्कृति को तार - तार कर दिया । हद तो तब हो गई जब सदन में मौजूद अनेक नेता इस टिप्पणी पर ठहाके मार कर हंस रहे थे !

 

 

 

Leave Your Comment

Click to reload image