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अमेरिका की रूस से तेल खरीदने वालों पर सख्ती, 500 फीसदी टैरिफ का प्रस्ताव, भारत-चीन को नुकसान

वाशिंगटन. यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच अमेरिका ने रूस के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर एक और कड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है. अमेरिकी सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने कीव में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रूस से तेल, गैसोलीन या पेट्रोकेमिकल्स खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा है. इस कदम का मकसद रूस के युद्ध कोष को कमजोर करना और भारत व चीन जैसे प्रमुख खरीदारों पर दबाव डालना है.

यूक्रेन की राजधानी कीव में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने रूस के खिलाफ साहसिक आर्थिक रणनीति की वकालत की. उन्होंने कहा कि रूस से तेल, गैसोलीन या पेट्रोकेमिकल्स खरीदने वाले देशों पर 500त्न टैरिफ लगाया जाना चाहिए. यह प्रस्ताव रूस की आर्थिक ताकत को कमजोर करने और यूक्रेन युद्ध को वित्तीय रूप से प्रभावित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. ब्लूमेंथल ने स्पष्ट किया कि इस कदम का लक्ष्य क्रेमलिन के युद्ध कोष को सीमित करना है, जो रूस के यूक्रेन पर हमले को जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

भारत और चीन पर विशेष नजर

इस प्रस्ताव का सबसे ज्यादा असर भारत और चीन जैसे देशों पर पड़ सकता है, जो रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करते हैं. भारत, जो अपनी तेल जरूरतों का लगभग 85त्न आयात करता है, ने यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदने की मात्रा में काफी इजाफा किया है. 2023 तक भारत रूस से प्रतिदिन लगभग 16.2 लाख बैरल कच्चा तेल आयात कर रहा था, जो उसके कुल तेल आयात का 35त्न हिस्सा है. इसी तरह, चीन भी रूस से तेल और गैस की खरीद में अग्रणी रहा है. सीनेटर ब्लूमेंथल का यह प्रस्ताव इन दोनों देशों पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

प्रस्ताव का उद्देश्य और संभावित प्रभाव

इस प्रस्तावित विधेयक में उन सभी देशों पर 500% टैरिफ लगाने की बात कही गई है, जो रूस से तेल, गैसोलीन, पेट्रोकेमिकल्स, यूरेनियम या अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं की खरीद जारी रखते हैं. यह टैरिफ तब लागू होगा, जब रूस यूक्रेन के साथ शांतिपूर्ण वार्ता में शामिल होने से इनकार करता है या यूक्रेन की संप्रभुता के साथ समझौता करने की कोशिश करता है. इस कदम से न केवल रूस की आर्थिक कमर तोड़ने की कोशिश की जा रही है, बल्कि उन देशों को भी चेतावनी दी जा रही है, जो रूस के साथ व्यापारिक रिश्ते बनाए रख रहे हैं.

भारत के लिए यह प्रस्ताव कई चुनौतियां खड़ी कर सकता है. भारत ने हमेशा अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता दी है और रूस से सस्ता तेल खरीदना उसके राष्ट्रीय हित में रहा है. पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत ने रूस से तेल आयात को लेकर अपनी नीति को स्पष्ट रखा है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले कहा था कि भारत वहां से तेल खरीदेगा, जहां उसे सस्ता और उपयुक्त मिलेगा. लेकिन 500 प्रतिशत टैरिफ का यह प्रस्ताव भारत की रिफाइनिंग और निर्यात रणनीति पर असर डाल सकता है, क्योंकि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसे रिफाइन कर यूरोप और अन्य देशों को बेचता रहा है.

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