मुडा केस में सिद्धारमैया को राहत, CBI जांच की मांग वाली याचिका खारिज
कर्नाटक। मुडा मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट ने मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण एजेंसी (सीबीआई) से कराए जाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। याचिका स्नेहमयी कृष्णा की ओर से लगाई गई थी।
कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में लाए गए दस्तावेजों से ऐसी बिल्कुल भी प्रतीत नहीं होता है कि लोकायुक्त की ओर से की जा रही जांच में कोई लापरवाही बरती जा रही है। जांच में पक्षपात, एकतरफा या गलत दिशा में जाने के भी कोई सबूत नहीं हैं। ऐसे में मामले को सीबीआई को सौंपने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है। मामले की जांच लोकायुक्त जारी रखेगा।
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण या मुडा कर्नाटक की एक राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है, जिसका गठन मई 1988 में किया गया था। मुडा का काम शहरी विकास को बढ़ावा देना, गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचे को उपलब्ध कराना, किफायती आवास उपलब्ध कराना, आवास आदि का निर्माण करना है।
कथित मुडा भूमि घोटाला क्या है?
मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी। 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। जिसे 2020 में उस वक्त की भाजपा सरकार ने बंद कर दिया।
सरकार द्वारा योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया।