रावण का पुतला करता है दशहरा चल समारोह की अगुवाई
कटनी। दशहरे पर भगवान श्रीराम की सवारी को चल समारोह की अगुवाई करते तो आपने देखा होगा, पर शहर में इस पर्व के दौरान लंकापति रावण का पुतला विजयदशमी पर्व पर निकाले जाने वाले चल समारोह की अगुवाई करता है। 140 वर्षों से निभाई जा रही परंपरा के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है, पर माना जाता है कि दशानन को प्रकांड विद्वान मानकर पुतले को आगे रखा जाता है।
चल समारोह में जब तक गोलबाजार रामलीला का रावण का पुतला नहीं पहुंचता है, तब तक प्रतिमाएं विसर्जन के लिए रवाना नहीं होतीं। समारोह में रामदरबार, रामलीला की झांकी के बाद दुर्गा प्रतिमाओं का क्रम प्रारंभ होता है। रावण के पुतले को आजाद चौक तक ले जाया जाता है और उसके बाद वह वापस रामलीला मैदान पहुंचता है। सुबह छह बजे पुतला दहन किया जाता है।
लालटेन के उजाले में होता था रामलीला का मंचन
समाजसेवी रामदास अग्रवाल उर्फ लल्लू भैया ने गोलबाजार में रामलीला के मंचन की परंपरा की शुरुआत अपने साथियों के साथ मिलकर वर्ष 1884 में कराई थी। उस दौरान लालटेन के उजाले में नवरात्र के दौरान रामलीला का मंचन होता था।
उसी समय से रावण के पुतले की अगुवाई में चल समारोह निकालना प्रारंभ किया गया। चल समारोह के दौरान लोगों में गजब का उत्साह रहता है। इस मौके पर ग्रामीण इलाकों से भी जनसैलाब शहर की सड़कों पर उमड़ता है।