विचारों का पारिस्थितिकी तंत्र एवं प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना एक – उपहार है
2025-04-26 16:40:45
मैनिफेस्ट करना
विचारों का पारिस्थितिकी तंत्र एवं प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना एक – उपहार है
डॉ. नीलांजना जैन
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला नेवई में दिनांक 8/4/25 से अनवरत विद्यार्थियों के लिए “मैनिफेस्ट” का मतलब है अपनी मनचाही जिन्दगी बनाने की क्षमता अर्थात अपने सपनों को साकार करने की काबिलियत अपने सपनों को साकार के लिए किस तरह अनुशासित रहते हुए अपने परिवेश को प्रभावित निर्देशित और नियंत्रित कर सकते है आप अपने जीवन को जैसा चाहे वैसा बना सकते हैं | क्योंकि ब्रह्माण्ड की हर चीज उर्जा से बनी है हम उर्जा से बने है......... हमारे विचार, भाव और भावनाएँ भी उर्जा से बनी है विभिन्न भावनाओं का अलग- अलग आवृत्तियाँ होती है जब हम अपने विचार बदलते हैं तो भावनाएँ भी बदलती है हम अनुभूत भावनाओं को बदल देते है जिसके फलस्वरूप हमारी पूरी कंपन आवृति बदल जाती है, फिर हम जो आवृत्ति बहार भेजते हैं उसी को अपनी और आकर्षित भी करते हैं इसलिए बच्चों को जानना समझना आवश्यक है कि किस तरह से हम सब अपना जीवन संवार सकते हैं अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं उस तरह सर्वप्रथम ध्यान मंत्रोच्चार सूर्य नमस्कार के पश्चात् विद्यार्थियों को कहानियों के माध्यम से माननीय मूल्यों से परिचित कराते हुए समझाया कि किस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र का र्य करत है पारिस्थितिक तंत्र एक प्राकृतिक इकाई है जो जीवित जीवों और उनके अजैविक वातावरण के बीच परस्पर क्रिया को दर्शाती है| इसमें पौधे जानवर सूक्ष्म जीव और उनके भौतिक पर्यावरण पर विशेष चर्चा चित्र चार्ट .वर्किंग माडल के माध्यम से की गई ये सब एक दूसरे के साथ मिलकर एक संतुलित प्रणाली बनाते हैं |
यह कार्यशाला प्रतिदिन 7:30 से 11:30 तक शाला प्रांगण मे ही चल रही है| कार्यशाला में संस्था प्रमुख श्रीमती सुलेखा गाडिया, श्रीमती शशिकला वर्मा, रजनी यादव , उषा किरण कौशिक , ज्योति वर्मा अमृता यादव, श्री संत ज्ञानेश्वर मरकाम आदि की उपस्थिति में कार्यक्रम सानंद सम्पन हुआ